राजनीति

हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने की होड़

प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम राजनीति व तुष्टिकरण का काफी प्रभाव रहा है। प्रदेश में चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा या नगर निगम तक के चुनावों में प्रदेश के सभी सेकुलर राजनैतिक दल किसी न किसी प्रकार से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं। लेकिन 2014 से मोदी लहर व 2017 से उप्र में योगी सरकार बनने के बाद मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का असर और प्रभाव बहुत कम हो गया और जिस पर सभी राजनैतिक विश्लेषक आश्चर्यचकित भी रहे। 2017 में योगी सरकार बनने और फिर अपराधियों के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति तथा श्रीरामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले तथा अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाने के बाद राजनैतिक दल एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को नये आक्रामक अंदाज में धार देने लग गये हैं।
प्रदेश में सभी राजनैतिक दल अपने उम्मीदवारों के चयन को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिसमें सपा, बसपा और कांग्रेस सहित औवेसी ने भी अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिये हैं। सभी दल मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़ में हिंदू विरोधी साबित होते जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने अब तक जितने भी मुस्लिम लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है उन सभी के ऊपर दंगा कराने से लेकर हर तरह के अपराध करने में मुकदमे दर्ज हैं। सपा के कई उम्मीदवार जेल में बंद हैं। प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि गुंडों, दंगाईयों को टिकट देकर सपा ने गुंडाराज और दंगाराज की वापसी कराने का अपना मंसूबा जाहिर कर दिया है। सपा ने प्रदेश की जनता को डरा धमकाकर वोट लेने की नीयत से गुंडों, दंगाइयों और हिस्ट्रीशीटरों तक को टिकट दिया है। सपा ने कैराना से हिंदुओं के पलायन के लिए जिम्मेदार नाहिद हसन को टिकट दिया, यह कुख्यात अपराधी है जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और जमानत याचिका खारिज कर दी गयी है। इसी प्रकार धौलाना से असलम चौधरी, बुलंदशहर से हाजी युनूस, मेरठ से रफीक अंसारी, लोनी से मदन भैया, साहिबाबाद से अमरपाल, सुराना से दिलनवाज को चुनाव में उतारा है।
समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सभी हदों को पार करते हुए पूर्व मंत्री व जेल में बंद आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम को प्रेस वार्ता में अपने बगल में बैठाकर सम्मानित किया। यही नहीं सपा ने भारत माता को डायन बताने वाले व जेल में बंद आजम खां को भी फिर से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है। सहारनपुर जिले में 2014 में गुरूद्वारे की भूमि को लेकर हुए दंगे में मुख्य आरोपी मोहर्रम अली उर्फ पप्पू भी सपाई हो गया है। यह सहारनपुर का पूर्व पार्षद है जिस पर वहां की पुलिस ने 87 मुकदमे दर्ज कर रखे हैं। सपा अल्पसंख्यक सभा के प्रदेश सचिव और सिख समाज के नेता अभिषेक अरोड़ा ने इस पर तीखा विरोध दर्ज कराया है। अभी जब समाजवादी पार्टी की पूरी सूची आ जायेगी तब हालात और साफ हो जायेंगे कि सपा बदली नहीं, अपितु बदले की भावना से यह और खतरनाक होती जा रही है। सभी सर्वे से पता चल रहा है कि प्रदेश का 77 प्रतिशत मुसलमान सपा को वोट करने जा रहा है, लेकिन जिस प्रकार से सपा का आचरण चल रहा है वह उसके विपरीत भी हो सकता है। सपा मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही है। सपा ने मुसलमानों को खुश करने के लिए अयोध्या में जमीन घोटाले का आरोप लगाया और श्रीराम मंदिर के लिए दान करने वाले लोगों का अपमान किया। सपा को अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण रास नहीं आ रहा है।
अब आइये बात करते हैं कांग्रेस की अभी तक यह कहा जा रहा था कि प्रदेश की राजनीति में इस बार कांग्रेस शून्य की ओर जा रही है अतः अपने अस्तित्व पर आ रहे संकट को बचाकर रखने के लिए कांग्रेस ने महिलाओं और मुस्लिम समाज पर दांव चल दिया है। आजकल सपा और कांग्रेस में हिंदू धर्म, हिंदुत्व और सनातन संस्कृति का अपमान करने की होड़ मच गयी है। हिंदुओं के खिलाफ घृणा फैलाने की होड़ मच गयी है। भाजपा प्र्रवक्ता संबित पात्रा ने उप्र विधानसभा चुनाव में सपा औंर कांग्रेस की ओर से बांटे गये टिकटों और किये गये समर्थन का उल्ल्ेख करते हुए कहा कि हिंदुओं के खिलाफ घृणा फैलाकर उन्हें डरा-धमकाकर और आपस में बांटकर यह पार्टियां अपने अपने परिवारों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। यह बात बिल्कुल सही है क्योंकि चुनाव के आरम्भिक दौर में ही कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अयोध्या पर एक पुस्तक लिखी थी जिसके कई अंशों ने राजनैतिक खलबली मचा दी थी। सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक के माध्यम से हिंदू बनाम हिंदुत्व के एजेंडे को नया रूप देने का असफल प्रयास किया था और हिंदुत्व सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों की तुलना बोको हरम जैसे आतंकी संगठनों से करके अपनी फजीहत करा चुके हैं। कांग्रेस ने आज उन्हीं सलमान की पत्नी लुईस खुर्शीद को एक बार फिर टिकट दिया है। यह वही लुईस हैं जिन पर समाजसेवा के नाम पर दिव्यांगजनों की रकम खाने का भी आरोप है। लुइस पर अभी भी मुकदमा चल रहा है। कांग्रेस ने लखनऊ मध्य से सीएए का विरोध करने वाली महिला को टिकट देकर अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं।
उप्र चुनाव से पहले इस्लामिक मौलवी और इत्तेहादे-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खान कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। यह वही रजा हैं जिन्होंने कुछ समय पहले हिंदुओं के नरसंहार का आह्वान किया था। भाजपा प्रवक्ता ने बताया कि मीडिया ने इस मौलाना का एक वीडियो दिखाया था जिसमें वह हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहे थे। तौकीर रजा खान पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं और उन पर केस दर्ज है। मौलाना तौकीर रजा एक ऐसा व्यक्ति है जो पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का सिर कलम करने का फतवा भी जारी कर चुका है। वह हिंदू समुदाय को भी धमकी देते रहे हैं। मौलाना ने एक बार कहा था कि अगर कानून व्यवस्था उनके हाथ में आ गई तो हिंदुओं को भारत में रहने के लिए जगह नहीं मिलेगी। वे यह भी कहते हैं कि वे भारत का नक्शा भी बदल देंगे। मौलाना ने अब कांग्रेस को अपना समर्थन भी दे दिया है जिसका आज कड़ा विरोध किया जा रहा है। सभी सेकुलर दलों का हिंदूविरोधी चेहरा बेनकाब होता जा रहा है। यह लोग हिंदू समाज को डराने-धमकाने व विभाजनकारी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
कांग्रेस व सेकुलर दलों के लोग हिंदू धर्मसंसद में दिये गये भाषणों पर तो खूब हल्ला मचाते हैं और कोर्ट तक पहुंच जाते हैं, लेकिन जो लोग हिंदू समाज के नरसंहार की धमकी दे हैं और अपना वीडियो जारी करते हैं उन्हें यह सभी पार्टियां गले लगा रही हैं। सेकुलरवाद का दोहरा और विकृत चेहरा इस बार विधानसभा चुनावों में साफ दिखलायी पड़ रहा है। सभी टीवी चैनलों पर जो बहस आ रही थीं उसमें सभी सेकुलर दलों के प्रवक्ता तौकीर रजा का बचाव कर रहे थे किसी भी दल ने तौकीर का खुला विरोध नहीं किया क्योंकि अब राजनीति ही सेलेक्टिव हो गयी है।
रही बात बसपा की तो उसने भी अब तक 14 मुस्लिमों को मैदान में उतारा है और सीएए जैसे कानूनों का विरोध करती रही है। प्रदेश में राजनतिक पकड़ को मजबूत बनाने का प्रयास कर रहे ओवैसी ने अतीक अहमद की पत्नी को अपना उम्मीदवार बनाया है। एक प्रकार से कोई भी दल मुस्लिम तुष्टिकरण में पीछे नहीं रहना चाहता है और इसलिए हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत के बीज बोना अनिवार्य हो गया है।
— मृत्युंजय दीक्षित