कविता

जागो भारत वीर

तज दो अवगुण
मिटा दो कलेश
मत जाओ दनुजता के निकट
रम जाओ मनुजता में…
काम, क्रोध, लोभादि में न फंसो
दिव्य गुणों को करो धारण
जीवन सफल बनाओ
चुस्ती, फुर्ती, उत्कट क्रियाशीलता अपनाओ ।
प्रदूषण इतना फैला कि धरा ऊब रही
जग में त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति बन आई
जग-जीवन में घोर निराशा छाई
प्रकृति रक्षक बन धरा बचाओ।
स्वार्थ सिद्धि में संसार पगलाया
मानवता खतरे में,
पुनः विश्व युद्ध की करी तैयारी
होगा विनाश, महाविनाश !
भारत विश्व गुरु बन राह दिखाओ
धरा को स्वर्ग बनाओ
संसार निहारे तुम्हारी ओर
जागो भारत वीर ! अब तुम्हें ही करनी है सुहानी भोर…
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111