समाचार

हिन्दी की गूँज का पावस कविसम्मेलन

सुबह की गुनगुनी धूप शाम की परछाई की तरह ,
तेरा साथ रहा झील की अंगड़ाई की तरह”
दिल्ली. देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था हिंदी की गूंज के तत्वावधान में आयोजित पावस कवि सम्मेलन सफलतापूर्वक रविवार की शाम को संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभांरभ भावना मिलन अरोड़ा जी की सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुधीर कुमार शर्मा जी ने अपनी पुस्तक “दो बूंद जिंदगी की” की जानकारी देते हुए सभी कवियों का अभिनंदन किया और उन्हें निरंतर साहित्य की साधना करने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में बलरामपुर से जुड़े गौरव वाजपेयी ने  ‘सावन पिय की लाया पाती। पीड़ा अब उर नहीं समाती’ सुना सभी का मन मोह लिया तो वहीं डॉ ममता श्रीवास्तव सरुनाथ ने- ‘जीवन में हो जब गमों की बारिश है यही गुजारिश  तुम छतरी बन आ जाना’ सुनाया , चेन्नई से जुड़ी रोचिका अरुण शर्मा ने- ‘मयूरा थिरक रहे रिमझिम रिमझिम पानी गिरे बिजुरी भी शोर करे’ सुनाया तो वहीं मधुर कंठ से गीत- ‘चंद्र प्रकाशित है नभ में मन में अनुरक्ति की भाव लिए’ सुना साधना मिश्रा ने सभी को भावविभोर कर दिया। श्याम सुंदर श्रीवास्तव जी ने- ‘द्वार पर बारात लेकर आ गए घन’ सुना कर बरसात के मौसम का बहुत ही सजीव चित्रण किया। मुंबई से कार्यक्रम में जुडी वर्षा महेश ने -‘तुम मेरे कौन हो यह बताओ कभी? प्यार करते हो तो निभाओ कभी’ सुना कर प्रेमी युगल के मनोभाव को प्रकट किया। मधुर कंठ के स्वामी सुकुमार कवि विनोद कुमार प्रसून ने- ‘संग के साथ के और जज्बात के हमने कल जो लिखे गीत भूले नहीं’ सुना कर कवि सम्मेलन में समां बांध दिया। भावना मिलन अरोड़ा ने- ‘यह दिलकश कैसा एहसास है बरसती बूंदें हैं मन में प्यास है’ सुनाकर पटल का ध्यान आकर्षित किया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जुड़े मनोज कुमार मनोज ने अपने मधुर गीत ‘सावन की घनघोर घटा जब व्योम के आंगन में घिर आए शीतल मंद पवन चले जब गांव में सावन आए’ सुनाकर सावन के आगमन की सभी को बधाई दी कार्यक्रम की कुशल संचालिका तरुणा पुंडीर तरुनिल ने – ‘पावस की बूंदों ने जैसे नवजीवन का संचार किया’ सुनाया और शानदार संचालन किया। कार्यक्रम के संयोजक हिंदी की गूंज संस्था के संस्थापक  नरेंद्र सिंह नीहार जी ने अपने गीत -‘सुबह की गुनगुनी धूप शाम की परछाई की तरह तेरा साथ रहा झील की अंगड़ाई की तरह’
मन की छतरी ले गया साजन अपने संग
मुझको अब भाते नहीं, बादल मोर मृदंग ।
 सुना कर सभी का मनमोह लिया। लगभग ढाई घंटे चले कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रोताओं का विशेष योगदान रहा। निर्मला जोशी, गिरीश चंद्र जोशी, राज श्रीवास्तव, डॉ संजय कुमार सिंह, उर्मिला रौतेला,डॉ. चंचल वशिष्ठ, आभा शुक्ला, प्रवीण कुमार, डॉ संदीप बराला , डॉ. संजय कुमार सिंह, रमेश कुमार गंगेले, नेहा शर्मा, प्रमोद कुमार, सुधा आदि ने अपने संदेशों के माध्यम से सभी का उत्साहवर्धन किया। नरेन्द्र सिंह नीहार ने सभी कवियों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

भावना अरोड़ा ‘मिलन’

अध्यापिका,लेखिका एवं विचारक निवास- कालकाजी, नई दिल्ली प्रकाशन - * १७ साँझा संग्रह (विविध समाज सुधारक विषय ) * १ एकल पुस्तक काव्य संग्रह ( रोशनी ) २ लघुकथा संग्रह (प्रकाशनाधीन ) भारत के दिल्ली, एम॰पी,॰ उ॰प्र०,पश्चिम बंगाल, आदि कई राज्यों से समाचार पत्रों एवं मेगजिन में समसामयिक लेखों का प्रकाशन जारी ।