कविता

आजादी

सोने के इस चिड़िया को
अंग्रेजों ने जब देखा,
हुए लालायित पाने को
जाल गुलामी का फेंका..!!

देश हमारा ,सबसे प्यारा,
सोने की थी चिड़िया.!
अंग्रेजों ने गुलामी की,
जंजीरों में जकड़ लिया..!!!

गुलामी के जंजीरों में,
जकड़ा हुआ था जब भारत..!
आजादी के लिए लड़ाई,
चलती रही तब अनवरत!!!

अंग्रेजों ने किसानों पर,
गजब जुल्म था ढाता..!
अन्न उगाते अन्नदाता,
पर हाथ कुछ नहीं आता!!!

अनाचार देख अंग्रेजों का,
वीरों का खून खौला,
एकजुट होकर वीरों ने,
अंग्रेजों से हल्ला बोला!!!

देख एकता भारतीयों का,
अंग्रेजों ने घबराया..!
फुट डालो और शासन करो
का नीति अपनाया..!!!

जब तक रहे अंग्रेज वतन पर,
शोषण और अत्याचार किए,
देकर अपनी जान वीरों ने,
देश को अपनी आजाद किए..!!!

— प्रीतम कुमार साहू ‘कुशप्रीत’
मोब. 9977880889

प्रीतम साहू 'कुशप्रीत'

लिमतरा, धमतरी,(छ.ग) जन्म-१९८७ कार्य- शिक्षक रूचि - चित्रकला,लेखन शिक्षा -एम.ए/एम.लिम,/बी.एड