बाल कविता

बालगीत – पंछी बन जाएँ

चलो कुछ कर जाएँ,
       हम पंछी बन जाएँ।
नील गगन उड़ते हुए।
     चींव-चाँव करते हुए।
नदी पर्वत देख आएँ।
       हम पंछी बन जाएँ।
पड़े हुए दानों को।
       पके हुए फलों को।
मिल-बाँट कर खाएँ।
      हम पंछी बन जाएँ।
बना कर स्वयं घोंसला।
      मन में रख हौसला।
अच्छे से रह पाएँ।
     हम पंछी बन जाएँ।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.