लघुकथा

सम्पन्न दुनिया

माँ अपनी अटैची में कपड़े ठूँसते हुए बोली-“चल बेटा, अपने पुराने मुहल्ले में। मुझे अब यहाँ नहीं रहना।”
“क्यों माँ! तुम्हें तो यहाँ की हरियाली, फलदार पेड़ और उस पर चहकते पक्षी, सुगन्ध बिखराते फूल तो बड़े ही भाये थे। छोटे से पाण्ड में बत्तखों को देखकर कैसे तुम बच्चों-सी मचल गयी थी।”
“हाँ, लेकिन..”
“जानती हो माँ, तुम्हें इस तरह से खुश देखकर पहली बार लगा था कि मैं पापा की जगह खड़ा हूँ, अपनी नौकरी की रकम से इस सोसायटी में तुम्हारे लिए छोटा-सा फ्लैट लेकर मैंने कोई गलती नहीं की है।”
“नहीं मेरे लाड़ले, तूने कोई गलती नहीं की। लेकिन…”
“माँ तुम्हें याद है! पवनचक्की को देखकर तुमने कहा था कि चल अच्छा है यहाँ ये भी है, गर्मी में बिन पंखे के भी नहीं रहना पड़ेगा। फिर आज ऐसा क्या हुआ..?”
“बेटा ! सब कुछ है, किंतु यहाँ इंसान नहीं हैं..!”
“हा.. हा.. हा..! क्या माँ! यहाँ हजारों लोग रहते हैं, बस तुम्हें दिखते नहीं होंगे। पार्क में बैठने की तुम्हारी और उनकी टाइमिंग एक नहीं होगी न!”
“नहीं बेटा! टाइमिंग तो एक ही है परन्तु उनमें इंसानियत नहीं है, सब रोबोटिक्स हैं! तू लेकर चल मुझे उसी पुराने मुहल्ले में, जहाँ एक दूसरे का दुख-दर्द पूछने वाले ढेरों इंसान रहते हैं।”

— सविता मिश्रा ‘अक्षजा’

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|