राज़े उल्फत
कहीं छुप – छुप के यूँही मुस्काता है कोई | खुल ना जाए राज़े उल्फत इसलिए चुप रहता है कोई
Read Moreकहीं छुप – छुप के यूँही मुस्काता है कोई | खुल ना जाए राज़े उल्फत इसलिए चुप रहता है कोई
Read Moreरहमतों से आपकी बेखबर तो मैं नहीं हूँ | साहिब हो तुम मैं तो बस दास ही हूँ | चाहकर
Read Moreफिर वो सादे से लम्हें खोजता हूँ | जिनमें जीवन जीया खुल के वो बाते सोचता हूँ | बदल गया
Read Moreकहीं कहा मुझे गंगा मैया कहीं मुझे जीभर के दूषित किया | किसे मैं सुनाऊं अब बर्बादी की अपनी यह
Read Moreरहने दो तुम यह सब सह नहीं पाओगे | किसी की दर्द भरी आहें तुम सुन नहीं पाओगे | तुम्हे
Read Moreफिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ | हर युग के रावण के संहार के लिए
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