अशोक बाबू माहौर की रचनाएँ

क्षणिका

क्षणिकाएं

1) कड़ी धूप कड़ी धूप उतरी गर्मी सिर पर भारी पसीने से भीगे लोग ढूँढते छाया नीम, बरगद, पीपल की,

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कवितापद्य साहित्य

चलने की कोशिश कर रहा हूँ

विशाल अंधकार में चलने की कोशिश कर रहा हूँ पथ ऊबड़ – खाबड़ काँटे अनेक घास सूखी – सर्री फैली

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