तांका
1
जल के बिना
सृष्टि निर्वाह नहीं
सदुपयोग
है ये अमुल्य निधि
अवनि का अमृत
2
चाहत लक्ष्य
डगर पथरीला
राह शूल से
ना होना भयातुर
मिले मंजिल छोर
3
तितली पंख
सतरंगी चमक
चिताकर्षक
उपवन बहार
कुसुम आलिंगन
4
लाल कनेर
मस्त गुलमोहर
मन बावरा
सराबोर रंगो में
उमंग राग मन
शान्ति पुरोहित
शान्ति बहन , कविता बहुत अच्छी है
धन्यवाद, भाई साहब.
Good.
धन्यवाद, भाई जी.