कविता

सूरज! तू क्या संग लाया है?

सूरज! तू क्या संग लाया है?
आशाओं को,
क्या पीली किरणों में बिखराया है?
सूरज! तू क्या संग लाया है?

सांसें जो
बोझिल हैं अब तक
उनको क्या तू सहलाया है?
सूरज! तू क्या संग लाया है?

मरते मन में
क्या किरणें तेरी
ज्योति नई भर लाई हैं?
विकल मन
चंचल तन को क्या
स्निग्ध सुधा से नहलाई हैं?
सूरज! तू क्या संग लाया है?

©राजीव उपाध्याय

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राजीव उपाध्याय

नाम: राजीव उपाध्याय जन्म: 29 जून 1985 जन्म स्थान: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश पिता: श्री प्रभुनाथ उपाध्याय माता: स्व. मैनावती देवी शिक्षा: एम बी ए, पी एच डी (अध्ययनरत) लेखन: साहित्य एवं अर्थशास्त्र संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in

2 thoughts on “सूरज! तू क्या संग लाया है?

  • विजय कुमार सिंघल

    सुन्दर कविता

    • राजीव उपाध्याय

      बहुत-बहुत धन्यवाद

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