~मेरे कृष्ण कन्हैया~
ना कोख में पाला ना ही जन्म दिया ,
कृष्णा तुने यशोदा को माँ का मान दिया |
हर नटखट बाल शरारत को करके,
माँ यशोदा को तुने निढाल किया |
माँगा चाँद खिलौना, नहीं खाया माखन जताया,
खाकर मिट्टी मुख में ही सारा ब्रह्माण्ड दिखाया |
फोड़ी मटकी गोपियों की, की माखन चोरी ,
बन के भोला-भाला गया ओखली बंध डोरी|
वात्सल्यमयी माँ बना तुने, किया तृप्त यशोदा को,
ना जाने किस जन्म के फल पाप का दिया देवकी को |
कोख में पाला कष्ट सह जन्म दिया जिसने,
वंचित रखा क्यों अपनी अठखेलियों से तूने|
यशोदा को तुने सारा-का-सारा प्यार दिया ,
तरसती रही रही कुढ़ती देवकी बस कन्हैया|
कोख में पाला कृष्णा जन्म जिसने तुझको दिया,
तेरे बाल रूप दरश को वही रही तरसती कन्हैया |
||सविता मिश्रा ||
बहुत सुन्दर कविता .
बहुत खूबसूरत , आगे भी इंतज़ार रहेगा .
बढ़िया कविता. जय श्री कृष्ण !