कविता

हाइकु दिवस

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आनन्द ख़ुशी / हाइकु से मिलती / नई मुस्कान

आज हाइकु दिवस है …. आप सभी को हाइकु दिवस की बहुत बहुत बधाई और असीम शुभ कामनायें …

आज इसी उपलक्ष्य में मैं हाइकु पर चर्चा करने के लिए कुछ लोगों को अपने घर पर आमंत्रित की थी ….. अच्छा लगा चर्चा गोष्ठी में शामिल होकर लोगों को …. सभी के लिए हाइकु के बारे में जानना एक नई अनुभूति थी ….. सभी पहली बार जानें हाइकु विधा के बारे में ….. हम समाज का ऋणी हमेशा रहते हैं …..

बेहाल दीन
हिम छुट्टी खारिज
दिन है बौने

रौशनी करो
ख़ुशी का नहीं हक़
फैला ना सको
पिघल जाता
अवसाद के तुषार
टेसू ताप से
सँजो रखे हैं
इंच- इंच सपने
आस- मंजूषा।
रिश्ते सितार
सँभलकर बजा
नाजुक तार।
……. फिर मिलेंगे

 

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

One thought on “हाइकु दिवस

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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