कविता : बेटी
माँ की आँखों का नूर,
पिता का गुरूर होती है बेटी!
घर की शान और अभिमान होती है बेटी!
फ़ूलों की पंखुड़ी सी नाजुक,
ओस सी पावन होती है बेटी!
धरती पर ईशवर का दिया,
अनमोल वरदान होती है बेटी!
नर्म,नाजुक,कोमल भावनाओं,
का कल-कल बहता झरना होती है बेटी!
दो परिवारों को प्यार की ड़ोर,
से बाँधती है बेटी!
खुश-नसीब होते है वो जहाँ,
जन्म लेती है बेटी!
माँ की आँखों का नूर,
पिता का गुरूर होती है बेटी!
…राधा श्रोत्रिय”आशा”
@yuva-9461cce28ebe3e76fb4b931c35a169b0:disqus ji shukriya :)..betiya such m he ghar ki ronak hoti h..rachna pasand krne k liye aabhari h
राधा जी , मेरी भी दो बेतिआं हैं , मुझे इतना खुश रखती हैं कि बता नहीं सकता . एक बेटा है , बहु है , वोह भी मुझे हैपी रखते हैं लेकिन जो बेतिआं ख़ुशी देती हैं वोह एक इलग्ग ही बात है .
बेटी दो कुलों की लाज होती है
@yuva-52dbb0686f8bd0c0c757acf716e28ec0:disqus ji rachna pasand krne k liye aabhari h..ji betiya ek nahi do kulo ka maan badhati h
बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता !