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मानो तो धर्म न मानो तो मौत !

इश्वर ने इस धरती पर अनेको अनेक जानवरों को

वह नहीं दिया जो सिर्फ

और सिर्फ इंसान को दिया ,लेकिन……

इंसान ने इंसान को वह दिया

जिसने उसे न जाने कब तक के लिए सिर्फ

और सिर्फ जानवर बने रहने को मजबूर कर दिया !

कैसे मान लें जिसे वो धर्म कहता है

वो किसी भगवान् का दिया है

क्यूँ की उसी भगवान् के बनाए जानवर

बिना किसी धर्म के भी

इंसानों से ज्यादा सुखी हैं ,

पहले भी थे !

और शायद आगे भी रहेंगे तब तक

जब तक वो भी किसी धर्म को ‘समझ’ न लें

लेकिन शुक्र है की वो धर्म नहीं समझते

और जिसको समझने का दावा

इंसान करता आया है

करता आया था , और आगे भी करता रहेगा !

और इंसान जिन्दा होते न समझ पाया तो

लाशों में बदल कर समझता रहेगा

की

धर्म जीवन के लिए है ही नहीं

वो तो सिर्फ

मौत के बाद के लिए है

इसीलिए अब पूरा जीवन जीने की

जेहंमत ही नहीं उठाने देता

ये इंसान

अब तो बच्चों को भी

धर्म “समझाने” की मिसाल देने वाले

पैदा होते ही अपनी मुहर लगा कर

तुरंत धर्म ‘समझा’ देंगे

ताकि आगे चलकर न वो पत्रकार

बन सके

न किसी पर उसे इतनी देर बाद

धर्म

समझाने का पाप लग सके

सचिन परदेशी

संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत. संगीत रचनाओं के साथ में कविताएं एवं गीत लिखता हूं. बच्चों की छुपी प्रतिभा को पहचान कर उसे बाहर लाने में माहिर हूं.बच्चों की मासूमियत से जुड़ा हूं इसीलिए ... समाज के लोगों की विचारधारा की पार्श्वभूमि को जानकार उससे हमारे आनेवाली पीढ़ी के लिए वे क्या परोसने जा रहे हैं यही जानने की कोशिश में हूं.

2 thoughts on “मानो तो धर्म न मानो तो मौत !

  • इंतज़ार, सिडनी

    सही है ….धर्म से शांती कम और भ्रांती अधिक है …

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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