सामाजिक

सूअर द्वारा हिन्दू दलितों की रक्षा

शिकारपुर और जैकोबाबाद, सिंध में अक्सर देखा जाता था कि कई मुस्लिम जमींदार हिन्दू हरिजनों की बस्तियों जाते और उन्हें इतना कर्ज दे देते कि वे जीवन भर उसे न चुका सके। कर्ज न चुका पाने पर उन्हें मुसलमान बना कर अपने किसी नौकर से उनकी बहन या बेटी का निकाह भी किसी मुसलमान से करवा देते थे। आर्यसमाज के कार्यकर्ता श्री भीमसेन आर्य जी और श्री जीवतराम जी लम्बे समय से मुस्लिम जमींदारों के इस अत्याचार से परेशान थे। अंत में उन्हें एक उपाय सूझा।

मुसलमान लोग उस बस्ती में जाने से परहेज रखते थे जिनमे सूअर पाले जाते थे। आर्य कार्यकर्ताओं ने घोषणा कर दी कि जो भी हरिजन अपने अपने घर को साफ रखेगा उसे एक एक सूअर ईनाम में दिया जायेगा। ईनाम के लालच में हरिजनों ने अपने अपने घर साफ़ कर लिए और उसके बदले में उन्हें एक एक सूअर दिया गया। एक एक सुअरी २०-२० बच्चों को जन्म देती जिससे पूरी बस्ती में कुछ ही समय में सूअर ही सूअर नजर आने लगे। मुस्लिम मौलवी सूअरों के दर्शन से परहेज करते थे, इसलिए मौलवी लोगों ने हरिजनों की बस्तियों में आना छोड़ दिया। आर्यों की बुद्धिमत्ता से अनेक हिन्दू हरिजन भाई  न केवल मुसलमान बनने से बच गए अपितु अनेक अबलाओं की भी धर्म रक्षा हो गई।

— डॉ विवेक आर्य

One thought on “सूअर द्वारा हिन्दू दलितों की रक्षा

  • विजय कुमार सिंघल

    रोचक जानकारी !

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