पुस्तक समीक्षा

मुट्ठी भर अक्षर : लघुकथा के 30 नये दस्‍तखत

 

संपादक विवेक कुमार और नीलिमा शर्मा निविया11058422_10204737482990487_6450029787148042320_n

संपादकद्वय विवेक कुमार और नीलिमा शर्मा निविया द्वारा संपादित और हिंदीयुग्‍म द्वारा प्रकाशित 30 नये नकोर लघु कथा रचनाकारों की 180 लघुकथाओं का एक साथ आस्‍वाद लेने का मौका मिला। बेहद खूबसूरती और कलात्‍मक रुचि के साथ प्रकाशित इस संग्रह में कुल 180 लघुकथाएं प्रकाशित की गयी हैं। सुखद संयोग है कि ये रचनाकार अलग अलग देशों और देश के अलग अलग प्रदेशों के बाशिंदे हैं और रोजी रोटी के लिए साहित्‍य से इतर क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।

फेसबुक जैसे सशक्‍त सोशल मीडिया ने दूसरी बहुत सारी अच्‍छी बातों के अलावा दो बहुत अच्‍छे काम किये हैं। पहला तो ये कि इसने अनगिनत नये रचनाकारों को अभिव्‍यक्‍ति का खुला और सार्थक मंच प्रदान किया है जहां वे बिना किसी संकोच के अपनी रचनाओं को बहुत बड़े पाठक वर्ग तक पहुंचा सकते हैं और उनकी तत्‍काल प्रतिक्रिया पा सकते हैं। दूसरा काम ये हुआ है कि फेसबुक के माध्‍यम से ही ऐसे अल्‍प परिचित लेकिन उत्‍साही रचनाकारों को और बड़े पाठक वर्ग तक पहुंचाने का बीडा उठाने वाले संपादक भी फेसबुक पर ही मिल जाते हैं जो अपने सीमित साधनों के चलते ऐसे रचनाकारों की रचनाओं को फेसबुक से इतर के पाठकों तक पहुंचाने का बेहद महत्‍वपूर्ण काम कर रहे हैं। यही काम संपादकद्वय विवेक कुमार और नीलिमा शर्मा निविया और हिंदीयुग्‍म के प्रकाशक महोदय ने किया है और वे इसके लिए बधाई के पात्र हैं।

एक साथ अपेक्षाकृत 30 नव लेखकों की 180 लघुकथाओं को पढ़ते हुए मेरे मन में मिली जुली प्रतिक्रियाएं होती रहीं। पहली कि इन्‍हें लघु कथा की मानक कसौटियों पर तौलते हुए कितने अंक दिये जाने चाहिये और दूसरी कि क्‍या बेहद मेहनत और लगन से जुटाये गये इन तीस रचनाकारों में और बेहतर रचने की कितनी संभावनाएं हैं और क्‍या वे लघुकथा जैसे अभिव्‍यक्‍ति के सशक्‍त माध्‍यम में अपनी जगह बना पायेंगे।

दूसरे प्रश्‍न का उत्‍तर पहले। हां, इन तीस रचनाकारों में और बेहतर लिखने की अपार संभावनाएं हैं। जिस तरह जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों से हर तरह के विषय उठाये गये हैं और खूबसूरत भाषा के साथ उनका निर्वाह किया गया है, इससे तो यही संभावना जगती है कि 30 के 30 रचनाकार और बेहतर रचनाएं देने की पूरी क्षमता रखते हैं। उसके लिए उन्‍हें ये बात बहुत शिद्दत से याद रखनी होगी कि लेखन निरंतरता मांगता है। बेहतर लिखने की भी और बेहतर पढ़ने की भी। संग्रह में शामिल सभी रचनाकारों को इस संग्रह की सफलता की गठरी को अपनी पीठ से उतार कर ये तय करना होगा कि उन्‍हें और आगे भी काम करना है, बेहतर लिखना है और अपनी रचनाओं के बलबूते पर अपने लिए बेहतर जगह बनानी है।

अब पहले प्रश्‍न का उत्‍तर। रचनाकार स्‍वयं जानते हैं कि ये प्रयास उनका पहला प्रयास है। वे ये भी जानते हैं कि दुनिया भर में लिखी जा रही और हमारी साहित्‍यिक विरासत का हिस्‍सा बन चुकी लघुकथाओं की तुलना में वे खुद को कहां पाते हैं। स्‍व निर्णय सबसे अच्‍छा  निर्णय होता है अगर ईमनदारी से किया जाये। सबसे बड़ी बात होती है लिखना आना और अपने लिखे को सामने लाने का साहस जुटाना। ये पहला काम इन रचनाकारों ने कर ही लिया है। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। उन्‍हें और लिखना है, निरंतर लिखना है और बेहतर लिखना है।

संयोग से इन तीस रचनाकारों में कई समर्थ रचनाकार हैं और उनकी कई पुस्‍तकें पहले से प्रकाशित हैं, तो एक पाठक के नाते मैं यह उम्‍मीद भी कर रहा हूं और विश्‍वास भी कर रहा हूं कि आने वाले वक्‍त में हमें लघुकथा के तीस नये दस्‍तखतों की ओर से तीस खूबसूरत किताबों का उपहार मिलेगा।

सूरज प्रकाश