कविता

बूढ़ा बैल कहीं नहीं बिकता

ये सोचकर
बैल ख़रीदे
किसान ने
अपनी पहली
फसल बेचकर
घर को एक बारिश
और खाने दे
बाद में ठीक करायेंगे
बैलो के खूरों में
नाल लगवाने का
दर्द ,मगर खुद के सीने में
दबा जाते है
हर साल फसलों का
जोड़ बाकी करके
फसलो पर दंभ भरते
वे फसले जिनका
खाद ,दवाई बीज
पहले उधारी का
निवाला बन चुकी
पिछले साल पानी ने ओलावृष्टि में
फसले कमजोर कर
फसलों के लाभ के आँकड़े
बदल डाले ऋणों में
और इस साल पानी नहीं
बरसने के कारण फसले मुरझाने लगी
ये बातें भला बैल क्या जाने ?

कर्ज में डूबा किसान
बैलो को ही सुख -दुःख का
सहारा समझता
उनसे ही बातें करता
अपने दुःख दर्दो को
बीमार होने पर
छकड़ा गाड़ी में
बैलो जोतकर
इलाज करवाने चला जाता है
शहर
बैलगाड़ी की लचरता
उसके पहिये के
टूट जाने से होती
बेबस
इसमें भला बैल का क्या दोष ?

बैल ही को
किसान मारता ,समझाता
इसी ने मेरी गाड़ी तोड़ी
घर जाने पर गुस्सा
छोड़ आता रास्ते पर
दुलारता है फिर से
सोचता है ये सब ऊपर वाले की मर्जी है

बैल बूढ़ा होने तक
अपने मालिक की सेवा
करता है
क्योकि अंत में उसे
किसान के घर ही
मरना है
क्योकि बूढ़ा बैल कही बिकता नहीं
इसमें भला किसान का क्या दोष ?

संजय वर्मा “दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच