कविता

पतन

मानव को अनेक चिन्ताएं
चिन्ताओं के अनेक कारण
कारणों के नाना प्रकार
प्रकारों के विविध स्वरुप
स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें
परिभाषाओं के महाशब्दजाल
शब्दजालों के घुमावदार अर्थ
प्रतिदिन अर्थों के होते अनर्थ
खण्ड-खण्ड खंडित विश्वास
मानो समग्र नैतिकता बनी परिहास
बुद्धिजीवी चिन्तित हैं
जीविकोपार्जन को लेकर!
क्या करेंगे जीवन मूल्यों को ढोकर?
व्यर्थ है घर में रखकर कलेश
क्या करेंगे मूल्यों के धर अवशेष?

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६

2 thoughts on “पतन

  • महातम मिश्र

    व्यर्थ है घर में रखकर कलेश
    क्या करेंगे मूल्यों के धर अवशेष,,,, बहुत खूब आदरणीय

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सटीक चित्रण

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