सामाजिक

अनमोल है राखी

नाजुक रेशे से बनी हुई है लेकिन
कभी ना टूटने वाली एक पक्की डोर है राखी,
बहनो का प्यार और भाईयो का विश्वास है राखी,

यह कोई मतलब से बनाया हुआ रिश्ता नहीं बल्कि,
बहनो के अपने भाइयो पर होने वाले हक की हकदार है राखी,

गाँव में अपने घरो में मायूस बैठी बहनो को,
सरहद से उनके भाईयो के आगमन के हिलोरे देने वाली शीतल बयार है राखी,

पिता के घर से बिदाई के गम में मिलन की आस,
और
आँसूओं से छलकता प्यार है राखी,

ससुराल में एक आसरा सिर पर भाई के हाथ का,
सुकून और मीठा अहसास का एक मिशाल है राखी,

छोटे में चुलबुले कामो को करते-करते,
पापा की डाट सुनते फिर वही काम करते,

कभी गिरते,कभी सम्भलते,फिर उठ कर दौड़ के भागते हुए,
बिताई हुई बचपन की एक यादों का
चलता-फिरता चित्रहार है राखी।

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी -akhileshpandey109@gmail.com Maihudeshbhakt@gmail.com Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1

One thought on “अनमोल है राखी

  • विजय कुमार सिंघल

    बढिया !

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