विज्ञान

जानें ब्रह्मांड से जुड़े टॉप 1० फैक्ट के बारे में

ब्रह्मांड का न आदि और न अंत। ये हमारी सोच से भी परे है। सभ्यता के विकास से लेकर अब तक इंसानों ने कई रहस्यों को सुलझाया है लेकिन ब्रह्मांड की अनंत गहराइयों के बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। वैज्ञानिक भी बह्मांड के बारे में बहुत कम जानते हैं। आइए जानें ब्रह्मांड के उन टॉप 1० फैक्ट के बारे में जिन्हें जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे।

1. आप ब्रह्मांड का सफर कर रहें हैं1 ap brahmand ka safar ka rahe hai

अगर कहें कि आप सोते जागते पूरी जिंदगी लगातार सफर करते हुए बिताते हैं तो ये बात आपको बिल्कुल अजीब लगेगी, लेकिन यह सच है। हमारी ‘मिल्की वे गैलेक्सी’ 225 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार से घूम रही है जबकि फैलता हुए ब्रह्मांड (कास्मोस) की गति 3०5 किलोमीटर प्रति सेकेंड है। अगर इन दोनों गति को जोड़ दिया जाए तो लगभग 53० किलोमीटर प्रति सेकेंड यानि आप एक मिनट में बीस हजार किलोमीटर का सफर धरती पर रहते हुए इस ब्रह्मांड का तय करते हैं।

2. kaun ha sabse bhari2. कौन है सबसे भारी

सौर मंडल में वृहस्पति ग्रह सबसे भारी ग्रह है। धरती से वृहस्पति ग्रह 318 गुना भारी है। हमारे ग्रह के सभी ग्रहों को एक तराजू पर रख दिया जाए तो वृहस्पति ग्रह ढाई गुना ज्यादा भारी होगा। वहीं अगर वृहस्पति को खोखला कर दिया जाए तो इसमें 13०० धरती आसानी से समा जाएंगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि धरती से भारी होने पर भी ये लगभग नौ घंटे में अपने अक्ष पर घूमती है। यानि यहां पर दिन नौ घंटे का होता है।

3. हम कहां रहते हैं

This picture of the nearby galaxy NGC 6744 was taken with the Wide Field Imager on the MPG/ESO 2.2-metre telescope at La Silla. The large spiral galaxy is similar to the Milky Way, making this image look like a picture postcard of our own galaxy sent from extragalactic space. The picture was created from exposures taken through four different filters that passed blue, yellow-green, red light, and the glow coming from hydrogen gas. These are shown in this picture as blue, green, orange and red, respectively.

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि खरबों ब्रह्मांड में अरबों गैलेक्सियां हैं। वहीं जिस गैलेक्सी में हम रहते हैं उसे ‘मिल्की वे’ कहते हैं। इसमें करोड़ों सौर मंडल है। सर्पिलाकार आकार की हमारी ग्ौलेक्सी के एक छोर में हमारा सौर मंडल स्थित है। इसे दूसरे गैलेक्सी से देखने पर धरती एक नीले बिंदु की तरह दिखाई देती है। धरती से गैलेक्सी की छोर की दूरी 35००० प्रकाश वर्ष है। हमारी गैलेक्सी का नाम मिल्की वे इसीलिए पड़ा कि इनमें मौजूद तारे और ग्रहों की स्थिति दूध की तरह सफेद छितरे हुए जैसी दिखाई देती हैं।

4. Sun rotation

4. सूर्य किसका चक्कर लगाता है

जब धरती और दूसरे ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं तो सूर्य हमारी गैलेक्सी मिल्की वे का 25 किमी प्रति सैकेंड की चाल से चक्कर लगाता है। भले आपको विश्वास न हो पर वैज्ञानिकों ने प्रयोगों से साबित किया है। सूर्य को मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र का एक चक्कर लगाने में साढ़े बाइस करोड़ साल लग जाता है। वहीं आश्चर्य की बात यह है कि धरती के सौर मंडल के सभी ग्रह व उपग्रह सूर्य की परिक्रमा के साथ ही मिल्की वे की भी परिक्रमा करते हैं। तो अब आप समझ गए कि इस ब्रह्मांड में कुछ स्थिर नहीं है, ब्रह्मांड, गैलेक्सी, तारे, ग्रह व उपग्रह सभी घूम रहे हैं।

5. सौर मंडल की सबसे ऊंची चोटी5. Olympus_Mons_alt

आपसे पूछा जाए कि सौर मंडल की सबसे ऊंची चोटी कौन-सी है तो कहीं माउंट एवरेस्ट न बता दीजिएगा। दरअसल धरती की सबसे बड़ी चोटी माउंट एवरेस्ट है पर सौर मंडल की सबसे बड़ी चोटी ओलंपस मान्स है, जो कि मंगल ग्रह पर है। ये मउंट एवरेस्ट से लगभग तीन गुना ऊंचा है। वहीं इस पर 26 किलोमीटर फैला हुआ विशाल ज्वालामुखी है।

6. कांच की गोली की तरह था ब्रह्मांड

6. bigbang theoryब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई? इस सवाल का जवाब वैज्ञानिको की अनोखी मान्यता में छिपा है। इस सिद्धांत को महाविस्फोट का सिद्धांत या बिग-बैंग थ्योरी के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत को दिया है जार्ज लेमिटर ने। इसके अनुसार, ब्रह्मांड एक सेंटीमीटर के आकार की एक बहुत ठोस और गर्म गोली से अचानक एक विस्फोट की वजह से ये फैलता चला गया और आज तक यह फैल रहा। वैज्ञानिक मानते हैं यह महाविस्फोट 15 अरब वर्ष पूर्व हुआ था। इसी से सारे मौलिक कण इलेक्ट्रान, प्रोटान, फोटान इत्यादि बने हैं, जो ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है।

7. एक दिन में 15 बार सूर्योदय 7. ISS 15 time surising and sunset in one day

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) धरती के तल से 4०० किलोमीटर की ऊंचाई पर है। यहां पर आप खड़े होकर धरती का एक चक्कर 9० मिनट पर लगा लेंगे। जानते हैं इस स्टेशन की घूमने की गति लगभग 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। आप यकीन नहीं करेंगे कि यहां से आप एक दिन में धरती पर हो रहे हर 45 मिनट में15 बार सूर्योदय और 15 बार सूर्यास्त का अद्भुत नजारा देखेंगे।

8. univer colud of water vapour8. ब्रह्मांड में जल के विशाल बादल
ब्रह्मांड में जलवाष्प के विशाल बादलों के बारे में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है। धरती पर मौजूद कुल पानी से 1०० खरब गुना अधिक पानी जलवाष्प बादल के रूप में अंतरिक्ष में है। वही हमारी धरती से सबसे अधिक दूर पर स्थित एक जलवाष्प बादल में इतना पानी है कि हमारे ग्रह के 14००००००००००००० महासागरों को पानी से भर सकने की क्षमता रखता है। ये बात अलग है कि ये पानी वाष्प के रूप में जबकि धरती पर पानी तीनों अवस्था में मिलता है, यानि ठोस (बर्फ), द्रव्य (जल) और गैस (वाष्प) के रूप में है इसीलिए यहां पर जीवन है।

9. धरती भी चमकती है9. earth is very briht when sun rays

आमतौर पर माना जाता है कि हमारे सौरमंडल में सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है। अगर हम एक खास दूरी से सौर मंडल के सभी ग्रहों को देख पाएं तो धरती सबसे ज्यादा चमकीली नजर आएगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि धरती का पानी सूर्य के प्रकाश से परावर्तित (रिफलेक्ट) होती है इसीलिए ब्रह्मांड से एक समान दूरी पर धरती अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे अधिक चमकीली नजर आती है।

10.travell moon1०. धरती से सबसे नजदीक चांद है पर…

ब्रह्मांड में चांद ही ऐसा है जो धरती के करीब है। कल्पना कीजिए कि आप अपनी कार में बैठे हों और रास्ता धरती से चांद की ओर जाता हो तो आप एक घंटे की ड्राइव में अंतरिक्ष में पहुंच जाएंगे और लगभग छह महीने लगातार कार चलाते रहेंगे तो चांद पर पहुंचेंगे। धरती से चांद की दूरी लगभग 384००० किलोमीटर है।

अभिषेक कान्त पाण्डेय

अभिषेक कांत पाण्डेय

हिंदी भाषा में परास्नातक, पत्रकारिता में परास्नातक, शिक्षा में स्नातक, डबल बीए (हिंदी संस्कृत राजनीति विज्ञान दर्शनशास्त्र प्राचीन इतिहास एवं अर्थशास्त्र में) । सम्मानित पत्र—पत्रिकाओं में पत्रकारिता का अनुभव एवं राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक विषयों पर लेखन कार्य। कविता, कहानी व समीक्षा लेखन। वर्तमान में न्यू इंडिया प्रहर मैग्जीन में समाचार संपादक।

4 thoughts on “जानें ब्रह्मांड से जुड़े टॉप 1० फैक्ट के बारे में

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा लेख !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लेख बहुत अच्छा लगा ,पाण्डेय जी .सएंतिस्तों को मेरा ग्रैंड सैलिऊत है जिन की मिहनत से आज हम इतना कुछ जान गए हैं . मुझे याद है जब यूरी गागारेन १९६१ में अन्तरिक्ष में गिया था तो दुनीआं में कितनी ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी . जिस चंदा मामा के बारे में हम अपनी माओं से कहानिआन सुनते थे ,साइंस ने किया कुछ हमें बता दिया .अब तो मार्ज़ तक भी पहुँच गए हैं और क्रिस्टल कलीर फोटो भी हमें देखने को मिल गई हैं . बाई दी वे ,आप ने यह नहीं बताया कि धर्मराज किस गृह पर रहता है ,हा हा हा

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