बाल कविता

बचपन का जमाना…

बचपन का जमाना कितना प्यारा होता हैं
हर रात कों चॉद का इंतजार होता हैं
चॉद भी कितना भोला भाला
बच्चो की विनती सुन लेता हैं
अपने साथ खेलाने को
समय पर आ जाता है
चॉद तो आता संग
सितारों को भी लाता हैं
बच्चो की दुनियॉ में वह
खुब ही इठलाता हैं
कभी पास आता तो
कभी दूर चला जाता हैं
कभी काले बादलों में ही छिप जाता हैं
इस तरह लुका छिपी का खेल
बच्चो को खुब खेलाता है
बच्चे भी खेल में मदमस्त हो
अपनी सुदबुध खो देते हैं
फिर दादी मॉ के गोद में
चॉद का लोरी सुन ही सो जातें हैं|
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४