ग़ज़ल
प्यार में तेरे बहुत रुसवा हुआ
जो हुआ शायद बहुत अच्छा हुआ ।
हौसला जीता जहाँ में हर जगह
पत्थरों को चीर कर रस्ता हुआ ।
टूट जाते हैं सभी रिश्ते यहाँ
सबसे बढ़कर यार अब पैसा हुआ ।
आपके दीदार को आता हूँ मैं
आपकी महफ़िल में ये चर्चा हुआ ।
या ख़ुदाया इस जहाँ को क्या हुआ
पानी महंगा खून अब सस्ता हुआ ।
काम आ जाती दुआ माँ बाप की
जिंदगी का बन्द जब रस्ता हुआ ।
भाग जाएं इस जहाँ से तीरगी
“धर्म” दीपक रखो बस जलता हुआ ।
— धर्म पाण्डेय