कविता : पुकार
पहली फुहार पर पुकार लो मुझे
कि बूदों सी सोंधती झर जाऊं
तुम्हारे आंगन में
पहली बयार पर पुकार लो मुझे
कि हवा सी महकती बिखर जाऊं
तुम्हारे अंर्तमन में
पहले निखार पर पुकार लो मुझे
कि भोर के सपने सी उल्लसित
भर जाऊं तुम्हारी आंखो में
पहले खुमार पर पुकार लो मुझे
कि प्रेम के श्याम रंग सी
बह जाऊं तुम्हारी रग रग में
— हेमलता यादव
वाह वाह बहुत खूब!!