कविता

मॉ

यें मॉ शब्द भी
है कितना छोटा
लेकिन लिखना
उतना ही कठिन
मॉ की ममता
मॉ का प्यार
नही बॉध पाता कोई
कलमों से आज
रात रात भर जग कर
तुम्हे है सुलायी
अपने भूखे रहकर
तुम्हे है भोजन करायी
तो क्या इस प्यार को
कलमो से बॉध सकता है कोई
शब्द ही कहॉ और
वो अल्फाज ही कहॉ
जो मॉ की ममता का
बखान करें
मै भी बहुत कुछ
लिखना चाहती थी
लेकिन कुछ नही लिख पायी
बस एक मॉ शब्द ही लिखकर
अपनी इच्छा पुरायी|
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

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