मेरे देश के नेता
मेरे देश के नेता ऐसे होते
वोट के लिए हाथ जोडते
काम न बने तो पांव पकडते
फिर भी न बने तो पैसा फेंकते
पैसा न चले तो डराते धमकाते
या धर्म जाति के नाम लडाते
किसी भी तरह वोट जुटाते
फिर पांच बरस कुर्सी पकडते
काम कहो तो बडा अकड़ते
अपने घर की तिजोरियां भरते
जनता को हरदम छलते
लोकतंत्र पर कलंक बनते
ऐसे भेड़ियों को पहचानो
लोकतंत्र के तंत्र को जानो
देश के गद्दारों को सज़ा दो
राजनीति से उन्हे भगा दो
अपनी भारतीयता जगा दो
भारत को मज़बूत बना दो
प्रिय अर्जुन भाई जी,
अपनी भारतीयता जगाओ,
भारत को मज़बूत बनाओ.
अति सुंदर व सार्थक कविता के लिए आभार.