हमे अब इश्क में फिर से..
हमें अब इश्क में फिर से हदों के पार जाना है।
वही किस्सा पुराना फिर वफा का दोहराना है॥
किसी का दिल किसी की आरजू हो सकते है हम भी।
चलो मिलकर जहाँ वालो को अब हमको बताना है॥
कहीं पर चाँद की बाते कहीं रोटी की गोलाई।
जमाना है वहीं पर आज भी किस्सा पुराना है॥
किसी को रोशनी हासिल किसी को धुंध के साये।
कहीं पर जाम छलके हैं कहीं गम का पसाना है॥
उसे जो चाहिये था मिल गया सब खेल है बाकी।
हमारा दिल खिलौना है उसे बस दिल बहलाना है॥
यहाँ भी लोग रहते हैं कभी इस और भी देखो।
अमीरों तुम को भी आखिर खुदा को मुंह दिखाना है॥
कमाया कुछ नही बंसल न रुतबा या कि फिर दौलत।
मगर फिर भी हमें दुनियाँ ने पहचाना है जाना है॥
सतीश बंसल