राजनीति

चाय पर चर्चा -4

कलुआ को बोलता देख रामू काका भी कब तक चुप रहते ?

बोल ही पड़े ” सही कह रहे हो कालू ! इन नेताओं को तो जैसे कौनो लाज शरम है ही नहीं । चाहे कौनो दल का हो नेता सब का ईमान धरम तो अपने अपने आका की चापलूसी और उ चापलूसी से अपना उल्लू सीधा करना ही होता है । अब यही मोदीजी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब तो मनमोहन सरकार द्वारा लाये गए एफ़ डी आई कानून का बड़े जोरशोर से विरोध किया था । इसको घरेलु व्यापारियों के खिलाफ बताया था । अब हमको इ सब बात कहाँ पता चलती लेकिन जब हमरे गाँव के उ नगेंदर पाण्डे जो भा ज पा के बड़े नेता हैं हमसे 2013 में मिले थे और हमसे अपने क्षेत्र में भारत बंद को सफल बनाने के लिये सहयोग मांगे थे तब हम जान पाए थे इसके बारे में । इ भारत बंद इसी कानून के विरोध में था और अब देखो वही मोदीजी अब पूरी दुनिया में घूम घूम कर निवेश की याचना कर रहे हैं । एफ़ डी आइ कानून की बड़ी तारीफ करते हुए देश में आकर अपने हाथों अपनी पीठ ठोंकते हैं की हम यहाँ से निवेश लाया हूँ वहाँ से लाया हूँ । अब बताओ । जब निवेश आएगा अपने आप ही विकास का काम शुरू हो जायेगा । लोगन का रोजगार मिलने लगेगा अब इ पहले से हांकने की का जरूरत है ? कौनो रैली हो चाहे सभा हो मोदीजी इ बात जरूर कहेेंगे कि दू साल हो गए लेकिन हमरे ऊपर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा , तो हम उनका याद दिला दें की 2004 से 2009 तक तो कांग्रेस पर भी एक्को आरोप नहीं लगा था और बाद में भ्रष्टाचार की लाइन लग गई थी ।”

अब बारी हरीश की थी ” काका ! अब ये मानेंगे तब न ! भ्रष्टाचार के आरोप और कैसे लगते हैं ? इनकी एक मुख्यमंत्री सरेआम एक आरोपी की मदद करती हैं । एक दूसरे मुख्यमंत्री है जिनके राज का घोटाला तो पूरी दुनिया में खूनी घोटाला के नाम से जाना जाने लगा है । एक राज में तो और भी ऐसे ही मामले सामने आये हैं । महाराष्ट्र में इनके एक मंत्री भ्रष्टाचार और अपराधियों से मिलीभगत के आरोप में निलंबित हैं । अब हमरे इ समझ में नहीं आ रहा है कि जब एक राज के मुख्यमंत्री पर आरोप लगा था तब हमारे आदरणीय गृहमंत्री ने कहा था की एन डी ए में इस्तीफे नहीं होते और देखो ये सभी आरोपी कुर्सी से चिपके बैठे हैं । तब इ बेचारा महाराष्ट्र का मंत्री को काहें बलि का बकरा बना दिए ? ”

अब अजय कब तक खामोश रहता । बोला ” अरे काका ! आप लोग तो कुछ समझ ही नहीं रहे हैं । ये सब कांग्रेस की घिनौनी चाल थी मोदीजी की सरकार को बदनाम करने की जिसका मोदीजी ने बहादुरी से मुकाबला किया । लेकिन कांग्रेसियों ने क्या किया ? पूरा दो सत्र संसद का बिगाड़ दिया । देश के करोड़ों रुपये बर्बाद करा दिया । संसद में कोई काम नहीं हुआ । ”

रामू बोले ” ठीक कह रह हो बेटा ! लगता है जैसे मोदीजी कौनो मैडल तुमको देनेवाले हैं । लेकिन हम भूले नहीं हैं की तुम लोगन 2011 से 2014 के बिच संसद में क्या किया है कितना काम होने दिया है । ”

अजय :” अरे रामू काका ! जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे तब हमने उसके सबूत भी संसद में रखे थे और तब मजबूरी में उन आरोपियों पर कार्रवाई की गयी थी ।”

रामू काका अभी भी संतुष्ट नजर नहीं आ रहे थे । बोले ” ठीक कहते हो बेटा ! तुम और इ तुमरी पार्टी के लोग तो राजा हरिशचंद्र के वंशज हैं ना । कभी कौनो झूठ तो बोल ही नहीं सकते । तुम लोग चाहे जिसपे चाहे जो आरोप लगा लो सब सही है और दूसरा कोई आरोप लगाये तो वो झूठ । उसकी जांच भी नहीं कराओगे । यही तो तुम्हारा लोकतंत्र है । ”

अब तक अजय खासा निराश हो चला था आखरी कोशिश करने की नियत से बोल उठा ” लेकिन काका ! आप यह तो मानते हैं न कि डीजल पेट्रोल  सस्ता कर दिया है मोदीजी ने । ”

” हाँ बेटा ! हम तो इ मुद्दा को भूल ही चुके थे । अच्छा हुआ तुमने याद दिला दीया । लगे हाथ इ भी बता दो की तब विदेशी बाजार में कच्चा आयल  का भाव था और अब का भाव है । इहाँ भी मोदीजी लोगन को ठगने में पीछे नहीं हैं । छ गुना कम दाम में खरीद कर भी मोदीजी डीजल का भाव आधा भी नहीं किये तो अब बताओ कि इ सरकार गरीब के लिये का कर रही है ?  कांग्रेस के राज में इतना भाव होता तो यही बी जे पी के लोग जनता को बेवकूफ बना के धरना प्रदर्शन करते हुए छाती पिट रहे होते । “रामू काका फिर उत्तेजित हो गए थे ।

” क्या रामू काका ! आप भी कहाँ का गुस्सा कहाँ उतार रहे हो । अब इ डीजल पेट्रोल से गरीब का का सम्बन्ध है ? अब आप लोग ख़ाली मोदीजी का विरोध करने के लिए बेसिर पैर का आरोप लगा रहे हो ।” अजय भी भला क्यूँ हार मानता ?

कलुआ टपक पड़ा ” सही कहे हो लेकिन तुम अपनी पार्टी का कहा कुच्छु याद नहीं रखते का ? जब तुम विपक्ष में थे तब तो डीजल का सीधा संपर्क आम आदमी से बताते थे । किराया बढेगा तो चीजें महँगी होंगी और जनता ही पीसी जाएगी यही कहते थे ना ? अब का हो रहा है ? अब जनता नहीं पीसी जा रही ? ”

रामू काका अब संभल चुके थे । ” रहने दे कलुआ । इ पढ़ा लिखा है । इ आम लोगन की दुनिया में नाहीं उ का कहते हैं मोबाइल में होता है…”

हरीश बिच में ही बोल उठा ” अरे काका उ इन्टरनेट कहते हैं ………”

” हाँ हाँ वही इन्टरनेट ………’ अब हमले की बागडोर फिर से अपने हाथ में लेते हुए रामू बोला ” इन्टरनेट की दुनिया में इ अजयवा रहता है जहाँ पढ़े लिखे गंवारों की फ़ौज एक दूसरे से मिलकर दूसरे की बुराई और अपनी अपनी बड़ाई करते रहते हैं ।”

हरीश रामू काका को समझने के अंदाज में बोला ” काका ! इ जो इन्टरनेट है न बहुत ही बढ़िया चीज है लेकिन इसका दुरुपयोग भी बहुत होता है । दुनिया की सारी जानकारी इसके जरिये से मिल जाती है । अब देखो उ जब सलमान खुर्शीद आजमगढ़ में जाके बोले थे की बटाला हाउस एनकाउंटर की खबर सुन कर सोनिया गाँधी रोई थी तुरंत ही पूरी दुनीया में देखा गया था । और कांग्रेसियों को आज भी इस मुद्दे पर अपना मुंह छिपाना पड़ता है । ”

तभी अजय के फोन की घंटी घनघना उठी । फोन कान से लगाते हुए अजय ने कुछ बात की और फिर रामू काका से मुखातिब होते हुए बोला ,” काका ! हमको जाना होगा । अभी अभी खबर आई है पास के गांव से ! निरंजन धोबी ने आत्महत्या कर लिया है । कल ही उसको बैंक से जब्ती का नोटिस मिला था । बेटी की शादी के लिए लोन लिया था भर नहीं सका था । बेचारा ! ”

कहकर अजय तेजी से सड़क की तरफ बढ़ गया था और रामू , कलुआ , हरीश और इदरीश निरंजन की मौत की खबर से बेहाल खामोश हो गए थे ।

 

———————–इति शुभम ————————-

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।

7 thoughts on “चाय पर चर्चा -4

  • राजकुमार कांदु

    श्रद्धेय बहनजी ! आपने सही समझा है । यह चर्चा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से देहाती बाजार की नुक्कड़ पर हुयी है । वहाँ का मतदाता कितना जागरूक है इसकी मिसाल समय समय पर मिलती रही है । यहाँ एक साथ हुए चुनावों में भी मतदाताओं ने केंद्र और राज्य के लिए अपनी अलग अलग पसंद पर मुहर लगायी है । सियासत तो इन प्रदेशों में इनकी आत्मा में बसी होती है ।
    एक नायाब उत्साहवर्धक सार्थक व त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

  • राजकुमार कांदु

    श्रद्धेय बहनजी ! आपने सही समझा है । यह चर्चा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से देहाती बाजार की नुक्कड़ पर हुयी है । वहाँ का मतदाता कितना जागरूक है इसकी मिसाल समय समय पर मिलती रही है । यहाँ एक साथ हुए चुनावों में भी मतदाताओं ने केंद्र और राज्य के लिए अपनी अलग अलग पसंद पर मुहर लगायी है । सियासत तो इन प्रदेशों में इनकी आत्मा में बसी होती है ।
    एक नायाब उत्साहवर्धक सार्थक व त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

  • लीला तिवानी

    प्रिय राजकुमार भाई जी, सियासत की जितनी समझ चाय पर चर्चा करने वाले इन लोगों में है, वह तारीफ़ेकाबिल है. एक नायाब और सार्थक रचना के लिए आभार.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढ़िया लग रहा है यह सिआसत का खेल !

    • राजकुमार कांदु

      जी ! आदरणीय भाईसाहब । यह सियासत का खेल ही ऐसा है । सभी दलों के अपने अपने मुद्दे और अपने अपने तर्क हैं । हमें सारी बातों पर गौर करके फैसला लेना चाहिए । उत्साहवर्धक सार्थक व त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

    • राजकुमार कांदु

      जी ! आदरणीय भाईसाहब । यह सियासत का खेल ही ऐसा है । सभी दलों के अपने अपने मुद्दे और अपने अपने तर्क हैं । हमें सारी बातों पर गौर करके फैसला लेना चाहिए । उत्साहवर्धक सार्थक व त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद ।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढ़िया लग रहा है यह सिआसत का खेल !

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