कविता

कविता : अश्क बूँद

आंसू क्या है
सुप्त अंतस मन की वो छिपी वेदना
जिसे कभी अभिव्यक्ति ही नहीं मिली
आंसू नमकीन होता है- क्यों?
सोचा है कभी आपने
भला मीठी बातों से भी कोई रोता है
वह तो मन को मीठा कर देती है
आँखों का तो कहना ही क्या
कड़वी बातें दिल में जमी हो जाती हैं
कब कसैली फिर थोड़ी बेस्वादी नमकीन बन जाती है
पता ही नहीं चलता
आँखों को नहीं पता होता
कब,कहाँ,कितना रोना है
वह तो दिल के टूटने का
इंतज़ार करती है
और कब अश्रु बूँद आँखों के
किनारे से निकलकर पलकों पर कुछ देर ठहरकर
गालों को भिंगाती हुई होठों पर धीरे से रूककर
फिसल जाती है
रह जाता है सिर्फ क्रंदन
अब मुख से अभिव्यक्त करने की जरूरत ही कहाँ__₹__
आंसू सिर्फ मूक अभिव्यक्ति है
जहाँ ज़ुबा ख़ामोशी से साथ देती है
ज़ुबा कहना चाहती है तो_
दर्द की सिसकी
बन जाती है
सिसक सिसक से कही हुई बातें
बेमतलबी लगती है
मन में बसे दर्द को
दिल की गहराई में डुबाने लगती है
फिर वही लंबी ख़ामोशी
सिर्फ क्षण – क्षण रूककर
आती सिसकी बाहर शान्ति है
अंदर अभी भी तूफ़ान है
जिसको रास्ता नहीं मिला
फिर आँखों के कोने पर धीरे
से अश्कों की धार जमी रहती है
वही से आंसू का
अस्तित्त्व खत्म हो जाता है
वो सिर्फ सूखी
अश्क बूँद बन जाती है |

डॉ. विनीता मेहता

डॉ. विनीता मेहता

नाम-डॉ विनीता मेहता शिक्षा-एम ए.पी.एच-डी जन्म-स्थान उज्जैन मध्य प्रदेश व्यवसाय-स्वत्रंत लेखन विभिन्न राष्टीय समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक प्रकाशित रचनाएँ एवम् अंतराष्ट्रीय पत्रिकायो में भी रचनाओं का प्रकाशन।आकाशवाणी इंदौर से युववाणी में काव्य पाठ एवम् मंच पर भी काव्य पाठ पुस्तकें-साँझ काव्य संग्रह जे एमडी पब्लिकेशन(दिल्ली) द्वारा सम्पादित प्रेम काव्य सागर में चयनित रचनाएँ एवम् प्रेम सागर सम्मान से सम्मानित