टुकडे कागज के हुए
टुकडे कागज के हुए, देखो सारे नोट
काले धन पर हो गयी,सचमुच गहरी चोट
सचमुच गहरी चोट, मची है मारा मारी
भनक किसी को नही, हुई गुपचुप तैयारी
कह बंसल कविराय, कहें अब किससे दुखडे
घूमत हैं बेचैन, सेठ जी उखडे उखडे॥
बिस्तर में भी नोट है, तहखाने में नोट
खोटे सिक्कों है मगर, कैसे माँगे वोट
कैसे माँगे वोट, हुई धन माया कूडा
सभी पुराने नोट, हो गये जैसे तूडा
कह बंसल कविराय, चला ये कैसा नश्तर
काँटा बनकर हाय, चुभे नोटो का बिस्तर॥
सतीश बंसल