कविता

एक कविता

हँसते हैं न रोते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।
दिल से दिल में होते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

शीशे से साफ होते हैं
मोती से सच्चे होते हैं
दिल के अच्छे होते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

शिकवे न गिले होते हैं
मन ही मन वो रोते हैं
ज़ख्मों को खुद ही धोते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

ओस बनके भिगोते हैं
मिश्री की डली होते हैं
बेले की कली होते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

इस ज़मी ही के होते हैं
नहीं चैन से वे सोते हैं
औरों के लिए रोते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

ये लोग क्यों ये होते हैं
मुश्किल ही से होते हैं
काँटों में कली होते हैं
जो लोग अच्छे होते हैं ।।

..जो लोग अच्छे होते हैं, जो लोग अच्छे होते हैं

— अंशु (एक कविता ,मन की बात )