1 .
जीवन एक कठोर धरातल , माँ होती है नर्म बिछोना ।
सारे दुःख -दुविधा हर लेती , माँ होती है जादू-टोना ।
थोड़ी धूप ,छाँव थोड़ी सी ,और प्रेम की अविरल धारा ,
कुशल क्षेम से रखे सदा ही , माँ घर का वह प्यारा कोना ।
2 .
पाँव थक जाते मगर मन थक नहीं पाता ।
राह का पत्थर कभी आड़े नहीं आता ।
सुदृढ़ हैं जिसके इरादे ,क्या अगम उसको ,
ठान लेता जो वही निज लक्ष्य तक जाता ।
3 .
नेह की बाती जलाकर दीप बन जाएँ।
हम अभावों से भरों में भाव भर पाएँ।
सिर्फ आँसूं पौंछकर ही इति नहीं समझें ,
कुछ करें ऐसा कि वे दिल खोल कर गाएँ।
4 .
जिंदगी को मैं ग़ज़ब उपहार कहता हूँ ।
जो मिला,जितना मिला, खुशहाल रहता हूँ।
सुखों की बरसात हो या बाढ़ हो दुःख की ,
सहज रहकर जिंदगी के साथ बहता हूँ।
5 .
कामिनी के प्यार में सुख-स्वर्ग होता है ।
कामिनी का संग सृजन के बीज बोता है ।
कामिनी के साथ में सौ रंग हैं ,रस हैं ,
किन्तु पर- नारी मिलन वर्चस्व खोता है ।
— त्रिलोक सिंह ठकुरेला