कविता

कालाधन बनाम मोदी

नींद हराम कर चोरों की हँस रहे हो तुम
आमजन के हृदय में रच बस रहे हो तुम
लोग उठा फिर रहे कालाधन यहाँ- वहाँ
दे नवीन निर्देश शिकंजा कस रहे हो तुम

आज दे रहे गालियाँ तुम्हें केवल वे लोग
पैदा किया है जिन्होंने कालेधन का रोग
समय पर न चेत कर खजाने भरे अपार
अब भटकते फिरें भोगते करनी के भोग

कर की चोरी कर-करके बने हुये थे सेठ
शुक्रिया आपका हे मोदी सारे दिये लपेट
जोड़ा पैसा हराम का जिसने रो रहे हैं वे
खुश हुआ गरीब बचाता जो काटकर पेट

अब धन सफेद करने को कर रहे जुगाड़
लोगों को बहकाते फिरें परेशानी की आड़
गरीब को आगे कर बचे न असली दोषी
डाल उनके खाते में पैसे जताते जो लाड़

बीस हजार से अधिक कैश अगर हो बंद
खत्म हो जायेगा देश से कालेधन का गंद
होना चाहिये हिसाब हर अमीर-गरीब का
गति दो अर्थव्यवस्था को हो गयी जो मंद

फिर मेरे देश को महान बना दो हे मोदी
शत्रु के लिये इसे तूफान बना दो हे मोदी
शक्तिशाली बन जगत में चमके भारतवर्ष
विश्व में इस की पहचान बना दो हे मोदी

सुधीर मलिक

भाषा अध्यापक, शिक्षा विभाग हरियाणा... निवास स्थान :- सोनीपत ( हरियाणा ) लेखन विधा - हायकु, मुक्तक, कविता, गीतिका, गज़ल, गीत आदि... समय-समय पर साहित्यिक पत्रिकाओं जैसे - शिक्षा सारथी, समाज कल्याण पत्रिका, युवा सुघोष, आगमन- एक खूबसूरत शुरूआत, ट्रू मीडिया,जय विजय इत्यादि में रचनायें प्रकाशित...