मुक्तक/दोहा

“दोहा”

कल चुनाव आयोग ने, कही न्याय की बात

दो हजार तक ही रहे, चंदे की औकात॥-1

इस पर चर्चा कीजिये, मंशा रखिए साफ

आम जनों की यातना, कौन करेगा माफ॥-2

संविधान देता नहीं, कभी अनैतिक छूट

चंदा रहम गरीब को, यह कैसी है लूट॥-3

किसी बहाने ले लिया, जनता का ही नोट

भरी तिजोरी खुल गई, फिर जनता से वोट॥-4

अबतक चली भवाइयाँ, अब नाचेगा मोर

स्वर्ण हिरण मुर्छित हुआ, निकला सूरज भोर॥-5

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ