कथा साहित्यलघुकथा

तरीका –

“क्या हुआ बड़े उदास दिख रहे हो| दूकान से भी इतनी जल्दी वापस आ गये?” कहते कहते रसोई में चली गयी |

पानी देते हुए बोली -“आजकल हो क्या गया है तुम्हें ? त्यौहार में तो खूब बिक्री हो रहीं होगी, फिर भी यह मायूसी क्यों चेहरे पर ?”

“कुछ नहीं संजू लुट गया मैं |”

“अरे! कैसे, बदमाश पीछे पड़ गए थे क्या?”

“नहीं संजू, ये साले समाजसुधारक रोजी-रोटी डुबाने पर तुले हुए हैं|”

“क्या कह रहे हो जी, ऐसा क्या कर दिया उन लोगों ने, जो आपकी दूकान बन्द होने की कगार पर आ गयी |”

“हर गली, हर मुहल्ले में चायनीज सामान के खिलाफ़ लोगों के दिमाग में चिंगारी लगा दी इन नासपिटों ने | वह चिंगारी ऐसी भड़की कि इस त्यौहार में रोटी के भी लाले पड़ने के आसार दिख रहें हैं|

“चायनीज!! चायनीज सामान के तो आप भी विरोधी थे| रखे ही क्यों ?”

“क्या बताऊ संजू , ज्यादा मुनाफ़ा कमाने के चक्कर में कहीं का न रहा| सोचा था उस मुनाफ़े से दीपावली में एक फ़्लैट खरीदूंगा| परन्तु अब तो न घर का रहा न घाट का | वह साला राजेश, जो अपनी दूकान में रखे हुए तिरंगे का अपमान करता है, वह भी पीठ पीछे मुझे देशद्रोही कह रहा है|”

“अच्छा..! कल के अख़बार को पढ़ वही राजेश, सबके सामने आपको देशभक्त और दयालु व्यक्ति कहेगा! कहकर कुछ सोचते हुए वह एक नामचीन एनजीओ का नम्बर घुमा के बात करने लगी |  सविता मिश्रा

*सविता मिश्रा

श्रीमती हीरा देवी और पिता श्री शेषमणि तिवारी की चार बेटो में अकेली बिटिया हैं हम | पिता की पुलिस की नौकरी के कारन बंजारों की तरह भटकना पड़ा | अंत में इलाहाबाद में स्थायी निवास बना | अब वर्तमान में आगरा में अपना पड़ाव हैं क्योकि पति देवेन्द्र नाथ मिश्र भी उसी विभाग से सम्बध्द हैं | हम साधारण गृहणी हैं जो मन में भाव घुमड़ते है उन्हें कलम बद्द्ध कर लेते है| क्योकि वह विचार जब तक बोले, लिखे ना दिमाग में उथलपुथल मचाते रहते हैं | बस कह लीजिये लिखना हमारा शौक है| जहाँ तक याद है कक्षा ६-७ से लिखना आरम्भ हुआ ...पर शादी के बाद पति के कहने पर सारे ढूढ कर एक डायरी में लिखे | बीच में दस साल लगभग लिखना छोड़ भी दिए थे क्योकि बच्चे और पति में ही समय खो सा गया था | पहली कविता पति जहाँ नौकरी करते थे वहीं की पत्रिका में छपी| छपने पर लगा सच में कलम चलती है तो थोड़ा और लिखने के प्रति सचेत हो गये थे| दूबारा लेखनी पकड़ने में सबसे बड़ा योगदान फेसबुक का हैं| फिर यहाँ कई पत्रिका -बेब पत्रिका अंजुम, करुणावती, युवा सुघोष, इण्डिया हेल्पलाइन, मनमीत, रचनाकार और अवधि समाचार में छपा....|