गीतिका/ग़ज़ल

“ग़ज़ल”

वक्त ने ही हमें सताया है।
वक्त ने ही हमें  सम्हाला है।
दास्ताँ और से कहें क्या क्या
जिन्दगी में सबने रुलाया है।
काफिला साथ है मेरे फिर भी;
जिन्दगी का बसर ये’ तनहा है।
फिक्र करता वही जमाने की
कद्र जो वक्त की न करता है
सब्र करते रहे हमेशा ही
हाथ खाली हमको मिला क्या है
ऐ! खुदा तू बता इबादत के;
इस जुनूँ में अब रक्खा क्या है ।
छोड़ कर पैर के निशां जाओ
याद जग को कुछ भी न रहता है।
पुष्प का जो मिटा सके जीवन
दौर ऐसा अभी न आया है
पुष्प लता शर्मा

पुष्प लता शर्मा

जन्मतिथि : 8 जनवरी 1980 जन्मस्थान : प्रतापगढ़ शिक्षा : स्नातक व्यवसाय : प्रबंधक (F&A) ई मेल : [email protected]