बादल
उमड़ घुमड़ कड़ कड़के,बादल बल दल के।
अपनी भरी जवानी सावन भादों बरसे पानी।।
गली सभी कीचड़ से भरिगे,इत उत बरसा हाहाकार।
मचल मचल के गीत गा रहे,कुछ गाली दे,करें बखानी।।सावन भादों बरसे पानी।।1।।
कृषक मण्डली मोदित मनसे,भए प्रफुल्लित सब हृद,तनसे।
कहें अरे सब नाचो गाओ,खेत भये सब पूरित पानी।।2।।
प्यास मिटा के प्यासों की,भर झोली दि स्वांसों की;
गन्ध लुटा मनमोहक,कहाँ गए न जानी।।3।।
स्मृतियों के मनःपटल पर,अंकित चित्र अनोखे धर कर;
चले गए जगपथ से,कर जीवन की हानी।।4।।
तूफानों से खंडित मण्डित करते नभ को,नव उत्साह सृजन कर जीवन को।
जन जन को जलसे अभसिंचितकर,रहा सदा अभिमानी।।5।।
दो दिन की है ऋतु मस्तानी,बाद बचे बस एक कहानी।
नेकी करे सो नेक कहावे,बदी करे सो बदमांनी।।6।।
सावन भादों बरसे पानी ।।