उपन्यास अंश

आजादी भाग –२८

  • राहुल ने कहना जारी रखा ” हाँ ! तो मैं कह रहा था कि अब हमें अपने साथ घटने वाली आगे की घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए । और आगे की सोच कर ही मैं इस शीशी में हम सबकी रिहाई देख रहा हूँ । दरअसल तुम लोगों ने कालू की बातों पर ध्यान नहीं दिया इसीलिए कुछ समझ नहीं पाए थे । कालू ने अपने एक गुंडे को बताया था न कि उसने रामनगर में बाबा भोलानंद के आश्रम के सामने भीख मंगवाने का ठेका लिया है । उसने यह भी बताया था कि इसीलिए इस मंदी के माहौल के बावजूद उसने असलम भाई से कहकर दस लड़कों का इंतजाम कराया था । ” कहते हुए राहुल थोड़ी देर के लिए रुका ।

उसकी नजर सभी बच्चों की तरफ थी कि तभी मनोज ही बोल पड़ा ” हां ! हां ! राहुल तुम ठीक कह रहे हो । ऐसा उसने अपने आदमी को बताया तो था । और अब उसके बताये अनुसार वह हम सबसे बाबा भोलानन्द के आश्रम के सामने भीख मंगवायेगा । उसके आदमी हमेशा हमारे आसपास रहेंगे और उनकी नजर हरदम हमारे ऊपर रहेगी । इसमें हमारी रिहाई कहाँ हो रही है और तुम्हारी यह चमत्कारी शीशी कब हमारे काम आएगी ? “

राहुल ने अधीर हुए जा रहे मनोज को शांत करते हुए आगे कहना जारी रखा ” मनोज ! इतना अधीर न बनो ! थोड़ी धीरज रखो ! मैं वही तो बताने जा रहा था कि तुम बीच में शुरू हो गए । मैं अपनी योजना ही बताने जा रहा हूँ । ध्यान से सुनो, सोचो और फिर अपनी राय देना । मैं गलत भी हो सकता हूँ और अगर समझ में आये तो मुझे समझाना भी कि मैं कहाँ गलत हूँ । हमें मिलजुल कर अपनी रिहाई को सुनिश्चित करना है । पहले ध्यान से मेरी पूरी बात तो सुन लो फिर अपनी राय रखना ।  हां तो मैं क्या कह रहा था ? हां ! कालू भाई ने बाबा भोलानंद के आश्रम के बाहर भीख मंगवाने का ठेका लिया है । और वह आज नहीं तो कल किसी भी वक्त हमें वहां आश्रम के नजदीक के अपने अड्डे पर अवश्य भेजेगा । हमें यहाँ रखकर तो यह इतनी दुर से हमें वहां भेजकर हमसे भीख नहीं मंगवायेगा   । और जैसे ही वह हमें यहाँ से वहां भेजने की कोशिश करेगा हमारी इस जादुई शीशी का काम शुरू हो जायेगा । ” कहते हुए राहुल ने सभी बच्चों की तरफ देखा मानो पूछना चाह रहा हो ‘ मैंने कुछ गलत तो नहीं कहा ? ‘ लेकिन सभी ख़ामोशी से उसके आगे बोलने का इंतजार करते रहे ।

कुछ पल की ख़ामोशी के बाद राहुल ने आगे कहना शुरू किया ” मनोज , बंटी , टीपू ! तुम सबने यह तो देखा कि बच्चों को यह लोग किस तरीके से कहीं बाहर भेजते हैं । याद है न हमें असलम भाई के यहाँ से यहाँ पर कैसे भेजा गया था ? इसी शीशी के द्वारा बेहोश करके । हमें बेहोश करके कहीं भेजने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है । क्या कोई बताएगा वह क्या कारण है ? ” कहने के बाद राहुल ने मनोज की तरफ देखा लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था  । दूसरे बच्चों ने उसे उत्साहित करते हुए कहा ” नहीं राहुल भैया ! तुम ही बताओ ! हम सुन रहे हैं । ” ,
” ठीक है ! ” कहते हुए राहुल ने आगे बोलना शुरू किया ” हाँ ! तो सुनो ! तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमें बेहोश करके कहीं भी भेजने के पीछे सबसे बड़ा कारण होता है इनका डर । ये दिखने में खूंखार खतरनाक भयंकर भले ही लगते हों लेकिन इनके मन में हमेशा डर समाया रहता है । कहीं किसी बच्चे ने इनकी उम्मीद के खिलाफ किसी पुलिस वाले के सामने या भीड़ में कोई ऐसी हरकत कर दी जिससे इनके पकडे जाने का डर हो जाए इन सब बातों से बचने के लिए ही ये सबसे आसान रास्ता चुनते हैं हमें बेहोश करके कहीं भी ले जाने का । हमारे बेहोश होते ही इनका काम आसान हो जाता है । टेम्पो में सामान की जगह हमें लादकर चाहे जहाँ भेज सकते हैं । मजे की बात ये है कि पुलिस की सघन तलाशी अभियान से भी यह लोग बच निकलते हैं । टेम्पो में पीछे की तरफ थोडे सामान के खोके लाद दिए जाते हैं । अव्वल तो इनकी गाड़ियों की तलाशी होती ही नहीं है । ड्राईवर पहले ही कुछ चढ़ावा चढ़ा देता है । किसी वजह से बात नहीं बनी तो तलाशी के दौरान पीछे लदा खोखा देखकर पुलिस वालों के पास इन्हें जाने के लिए कहने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है । खैर ! ये तो हुआ वास्तविक कारण कि ये हमें बेहोश क्यों करते हैं । मैं इस लिए इतना सब समझा रहा हूँ ताकि तुम सब अपने मन से इनका खौफ निकाल दो । जैसा कि अभी अभी रोहित ने जो कहा है हमारे लिए सही नहीं है । यदि हम इनसे डरते रहे तो जिंदगी भर इनके चंगुल से नहीं निकल पाएंगे । और फिर इनसे क्यों डरना ? वो भी तब जबकि ये खुद हमारी वजह से डरते हों । अब आते हैं अपने असली मुद्दे पर ।
असली मुद्दा है कि यह शीशी हमारे लिए जादू की शीशी कैसे साबित होगी ? जैसा कि मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है ईस बात की पूरी संभावना है कि हममें से ही दस बच्चों को बाबा भोलानंद के आश्रम के लिए चुना जायेगा । इस बात की संभावना भी है कि उन दस बच्चों में हो सकता है हममे से कोई दो चार बच्चे न भी हों लेकिन वो बच्चे जिन्हें वहां ले जाने की कोशिश की जाएगी मोर्चा उन्हें ही संभालना होगा । इस लिए हममें से हर एक को इसके लिए तैयार रहना होगा । और उसकी कामयाबी में ही हम सबकी रिहाई छिपी हुयी है ।
अब हमें करना क्या है इस तरफ ध्यान देने की जरुरत है । यहाँ से ले जाने के लिए जिन दस बच्चों को चुना जायेगा उन्हें ले जाने से पहले बेहोश किया जायेगा । और बेहोश किया जायेगा इस शीशी की दवाई से ही । समझ रहे हो न सब लोग ? “

कहते हुए राहुल थोड़ी देर के लिए रुका । शायद अधिक बोलने की वजह से कुछ थक गया था । तभी मनोज ने आशंका जाहिर की ” तुम बहुत सही कह रहे हो राहुल ! हममें से कोई एक भी अगर यहाँ से निकलने में कामयाब हो गया तो समझो सबकी रिहाई पक्की हो जाएगी । लेकिन एक शंका है । ले जाने से पहले गुंडे जब हमें बेहोश कर देंगे और अपने ठिकाने पर फिर ऐसे ही पहरे में रखेंगे तो हम क्या कर लेंगे ? ”
राहुल मुस्कुराया ” तुम्हारी शंका जायज है । लेकिन हमें यही तो करना है बेहोश होते हुए दिखना है असल में बेहोश होना नहीं है । ”
सभी बच्चे राहुल की बात सुनकर चौंक गए थे । मनोज ने पूछ ही लिया ” बेहोश होते हुए दिखना है का क्या मतलब ? ”
राहुल मुस्कुराया ” इसका सीधा सा मतलब है कि हमें बेहोश नहीं होते हुए भी बेहोश होने का अभिनय करना है । ”
टीपू से भी रहा नहीं गया ” लेकिन राहुल भैया ! दवाई पीते ही तो हम बेहोश हो गए थे । फिर यहाँ बेहोश क्यों नहीं होंगे ? और जब होश में ही नहीं रहेंगे तो अभिनय क्या करेंगे ? बेहोश होकर सीधे गुंडों के दुसरे अड्डे पर पहुँच जायेंगे । “

क्रमशः

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।