“मुक्तक”
मापनी – 122 122 122 122
शिवा शिव हरी हर हलाहल विषामृत
कंठनील शंकर त्रिशूल चंदा धर चित्त
नमः शिव शिवाय नमः नमामि नमः
अवघड़ी मढ़ी महिमा करुणा नमो वृत॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
मापनी – 122 122 122 122
शिवा शिव हरी हर हलाहल विषामृत
कंठनील शंकर त्रिशूल चंदा धर चित्त
नमः शिव शिवाय नमः नमामि नमः
अवघड़ी मढ़ी महिमा करुणा नमो वृत॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी