काव्यमय कथा-3 : संगठन में शक्ति है
चार बैल थे पक्के साथी,
नहीं कभी भी लड़ते थे,
उन्हें देखकर जंगल के सब,
बड़े जीव भी डरते थे.
एक शेर ने देखा उनको,
तनकर बैल खड़े थे,
डरकर भागा खूब ज़ोर से,
चारों बैल अड़े थे.
बोली एक लोमड़ी शेर से,
”तुम क्यों डरते हो भाई,
तुम तो हो जंगल के राजा,
कर लो थोड़ी-सी चतुराई.”
एक बैल से बोली लोमड़ी,
”तुम तो हो सबसे बलशाली,
तुम क्यों करते-फिरते हो जी,
औरों की बोलो रखवाली?”
लोमड़ी और बैल को बातें,
करते सब बैलों ने देखा,
अलग-अलग सब लगे घूमने,
करते रहे सब कुछ अनदेखा.
मौका पाकर एक बैल को,
मार दिया तब उसी शेर ने,
संगठन में जो शक्ति है भाई,
नहीं मिलेगी कभी वैर में.