बाल कविता

काव्यमय कथा-3 : संगठन में शक्ति है

चार बैल थे पक्के साथी,
नहीं कभी भी लड़ते थे,
उन्हें देखकर जंगल के सब,
बड़े जीव भी डरते थे.

एक शेर ने देखा उनको,
तनकर बैल खड़े थे,
डरकर भागा खूब ज़ोर से,
चारों बैल अड़े थे.

बोली एक लोमड़ी शेर से,
”तुम क्यों डरते हो भाई,
तुम तो हो जंगल के राजा,
कर लो थोड़ी-सी चतुराई.”

एक बैल से बोली लोमड़ी,
”तुम तो हो सबसे बलशाली,
तुम क्यों करते-फिरते हो जी,
औरों की बोलो रखवाली?”

लोमड़ी और बैल को बातें,
करते सब बैलों ने देखा,
अलग-अलग सब लगे घूमने,
करते रहे सब कुछ अनदेखा.

मौका पाकर एक बैल को,
मार दिया तब उसी शेर ने,
संगठन में जो शक्ति है भाई,
नहीं मिलेगी कभी वैर में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244