बाल कविता

काव्यमय कथा-4 : एकता में बल है

एक किसान दुःखी था मन में,
चारों बेटे लड़ते रहते,
इस प्रकार लड़ते रहने से,
सारे काम बिगड़ते रहते.

एक बार रोगी होने पर,
चारों बेटों को बुलवाया,
एक-एक लकड़ी दे उनको,
उसे तोड़ने को उकसाया.

झटपट लकड़ी सबने तोड़ी,
बोले, ”काम सरल है यह तो”,
बापू बोले, ”लकड़ी चार ले,
इनका गट्ठर एक बांध लो.”

गट्ठर बन जाने पर उनको,
कोई बेटा तोड़ न पाया,
”मिलकर रहने में ताकत है”,
ऐसा उनकी समझ में आया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244