एक खत
साजन भेज रहीं हूँ तुम्हें
हौसले से लिखा एक खत
यकीन मानों इसमें
शामिल नहीं हैं मेरा कोई दर्द
और आंसूओं के एक एक कतरे से
महफूज रखा है शब्दों को
ताकि तुम्हारी दृढ़ संकल्पित
आंखो की क्यारियों में
छलछला न जाए नमकीन पानी
क्योकि मुल्क सुरक्षित है
सिर्फ तब तक
जब तक मुल्क के पहरेदारों ने
रोक कर रखें हैं अपने नमकीन जज्बात
पलकों में बंद कर
आखिर हमारे मुल्क के सैनिक ही तो हैं
नमक हलालों के आखिरी नस्ल
और फिर वो नमक ही तो है
जो उनकी माँ , बच्चे और पत्नी के
आंखो में ठोस होकर जम जाता है
फिर उसका
दिल पर पत्थर बनकर
ठहर जाना भी तो लाजिमी ही है
साजन भेज रही हूँ तुम्हें एक खत
इस उम्मीद से
कि यह तुम्हें मिले उससे पहले
जब तक मेरी मांग में सजा रहे
तेरे नाम का सिंदुर
ताकि सियाचीन की सर्द वादियों में
मेरी खत की उष्मा
कांपने नहीं दे तेरे हाथ
और गर यह पहुँचे
मेरी माँग उजरने के बाद
ऐ ! मेरे देश
इस खत को
उनके जिस्म के साथ ही
दफन कर देना
ताकि उनकी सुकून भरी नींद में
कोई खलल न पड़े
अमित कु अम्बष्ट ” आमिली ”