प्यार का पैमाना
भूखी आंखें
देखती है
हुस्न की बनावट
इंच-इंच
सेंटीमीटर-सेंटीमीटर
कुरेदती है
सौंदर्य की शक्ल पर
अनगिनत निशान
मर्द का प्यार भी
व्योम में छाये
मेघ की भांति
जगाता है उमंग
रातभर बरसकर थककर
बुस जाती है जैसे एक तरंग
स्त्री के जीवन आकाश में
एक सूनापन आजीवन
मिलन बेचैनी उलझन
क्या करें कोई ?
ये ही दस्तूर-ए-जमाना
पहले पूरे कपड़ों में
तो आज आधे कपड़ों में
ढलता प्यार का पैमाना।