कविता

अध्यापक का बदला मतलब

अब कहाँ रह गए गुरु जी वाले किस्से
कहाँ रह गयी आदर सम्मान की बातें

गालियां मिलती हर मोड़ पर इन्हें
कहीं मिलती ठोकर , तो कहीं पड़ती लातें

मार्गदर्शन में उसके , चमकते लक्ष्य जिनके
आज वो कहीं खो गए हैं

अध्यापक शब्द का बदला मतलब
छात्र भी आजकल सो गए हैं

अध्यापक का होता था कभी भगवन सा सत्कार
आजकल करते छात्र उनसे , गैरों सा व्यवहार

कसूर नहीं पता है अध्यापक को फिर भी
देता शिक्षा और दुआएं अपार

बन जाओ मंत्री , डॉक्टर और अफसर,
या बन जाओ तहसीलदार
अध्यापक का न भूलो कभी
करना तुम आदर सत्कार

केवल पढ़ाता नहीं है अध्यापक,
जीने की कला भी सिखलाता
लक्ष्य की महिमा बतलाकर
आगे बढ़ने की राह दिखाता

अध्यापक ने ही आपको,
संस्कारिता का पाठ पढ़ाया
बतायी राह पर चलकर
खुद का तूने नाम चमकाया

क्यों खो गयी कदर उसकी
क्यों करता है नादानी
दिल दुखता है उसका भी
देखकर तेरी ये शैतानी

बच्चे हो तुम उसके सब
मात पिता सम व्यवहार करो
अनदेखी क्यों करते हो बातें उसकी
कुछ तो सोच विचार करो

बुरा नहीं है तुम्हारा चाहता वो
बात पते क़ी कहे वो हर पल
ढूंढ रहा है हर अध्यापक
अपना वो अस्तित्व आजकल

कृष्ण मलिक, अम्बाला

कृष्ण मलिक

मेरा नाम कृष्ण मलिक है । अम्बाला जिले के एक राजकीय विद्यालय में व्यवसायिक अध्यापक के रूप में कार्यरत हूँ । योग्यता में ऑटोमोबाइल इंजीनियर हूँ । कम्प्यूटर चलाने में विशेष रुचि रखता हूँ। दिल्ली, मध्य प्रदेश, लखनऊ , हरियाणा , पंजाब एवम् राजस्थान के समाचार पत्र में मेरी रचनाएँ छप चुकी है । दिल्ली की सुप्रसिद्ध पत्रिका ट्रू मीडिया में अगस्त के अंक में मेरी एक रचना प्रकाशित हो रही है । बचपन में हिंदी की अध्यापिका के ये कहने पर कि तुम भी कवि बन सकते हो , प्रेरणा पाकर रचनाओं की शुरुआत की और 14 वर्ष की उम्र से ही कुछ न कुछ तत्व को पकड़ कर लिखना जारी रखा । आज लगभग 12 वर्ष बीत गए एवम् 150 के आस पास आनंद रस एवम् जन जागृति की काव्य एवम् शायरी की रचनाएँ कर चुका हूँ।