कविता

आज का रावण

आज का रावण
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इंसानी मुखौटे में घूम रहा है
स्कूल, कॉलेज, बस स्टेंड, रेलवे स्टेशन
और तो और घर के भीतर – बाहर हर जगह
घात लगाये है – आज का रावण….

दामिनी – प्रद्युम्न जैसे मासूमों का खून पीने
मानवता को तार – तार करने
अपना काला सामृाज्य बढ़ाने
रच रहा षड्यंत्र वो हैवान – शैतान / आज का रावण….

बैठ कर सत्ता के गलियारों में
निज घर भर रहा
प्रजारूपी जनता पर चाबुक चला रहा
देश को रसातल में पहुंचा रहा
आज का रावण….

बदल कर भेष बना साधु
धर्म को कर रहा नष्ट – भ्रष्ट
मठ, मंदिर, आश्रम इसके बने अय्याशी का द्वार
गई आज इंसानियत इससे हार
अब श्री राम कहॉ….?
रावण घर – घर में तैयार यहॉ….!

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
गांव रिहावली, डाक तारौली गुर्जर,
फतेहाबाद-आगरा, 283111

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111