कविता : आतंकवाद
देश की धरा पर खुनी मंजर छाया
अंधकार का जहर भरा खंजर लाया
हिंसा की जंजीर ये लाया
जब आतंकवाद अपने देश में आया।
इंसानियत की मौत का पैगाम ये लाया
मानवता की चोट का आलम ये लाया
विकसित स्थिति को बिगाड़ने ये आया
जब आतंकवाद अपने देश में आया।
समस्याओ का पिटारा ये लाया
दानवताओ का भंडारा ये लाया
मजबूत इरादे को मिटने आया
जब आतंकवाद अपने देश में आया।
चहु ओर युद्ध की सूचना ये लाया
मौत से भरी वेदना ये लाया
प्रेम के मायने भुलाने आया
जब आतंकवाद अपने देश में आया।
कमर देश की तोड़ने ये आया
अमन-चैन मिटाने ये आया
अपनों का क्षाद कराने ये आया
जब आतंकवाद अपने देश में आया।
देख आतंकवाद का फंदा, मिटाने इसे मैं आया
पैरो मैंताकत दिलो में जोश दिलाने मैं आया
भावी पीढ़ियों की जान बचाने मैं आया
क्षदांजलि आतंकवाद को देने मैं आया
जब आतंकवाद मेरे देश में आया।
— फूल सिंह कुम्पावत