चुनावी दोहे ।
1-
अब चुनाव मे खुब चले, मुर्गा दारू नोट ।
जो जैसा खर्चा करे,वैसे पावे वोट ।।
2-
खादी पहन के हो गये, सारे नेता चोर ।
बन कर घूमें हंस अब,सारे मुर्दाखोर ।।
3-
लोकतंत्र अब हो गया, है,तबसे बेजान।
जबसे पैसे पे बिका ,मतदाता का दान ।।
4-
ईंट,खंड़ंजा,सड़क सब, सरकारी अनुदान ।
शौचालय भी खा गये,गाँवों के परधान ।।
5-
नेताओं के कद बढ़े, काले हो गए हाथ।
जहाँ खड़े थे वहीं हैं,झुग्गी औ फुटपाथ ।।
6-
रोज बदलते पैंतरे ,नैतिकता से दूर।
नेताओं को देख के ,शरमाये लंगूर।।
7-
लाशों से भी काम ये, कर लेते हैं सिद्ध।
नेताओं से हार के लुप्त हो गये गिद्ध ।।
8-
बस चुनाव में ही दिखें, गायब पाँचो साल ।
आगजनी हो ,बाढ़ हो, या फिर पड़े अकाल।।
———डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी