कविता

कविता

कविता

प्रतिस्पर्धा

देखते हो आप
हर जगह
एक प्रतिस्पर्धा
हर कोई
आगे निकलना
आगे बढ़ना
चाहता है
इसके लिए
दिन रात
सुबह शाम
दौड़ रहा
लगातार
चल रहा
एक अंधी दौड़
जिसमें
शांति नहीं
केवल होड़ है
जिसका
न आदि न अंत है
निन्यानवें के फेर सा
क्या चाहता आदमी
धन जोड़ना
नाम कमाना
दहशत फैलाना
दबदबा बताना
आखिर क्यों है दौड़
यह कैसी प्रतिस्पर्धा
जिसमें सबल विजय
निर्बल की हार
क्या यही है प्रतिस्पर्धा
जहाँ कतारें
लंबी लम्बी कतारें
उनमें खड़े नोजवान
पिचके गाल
सिकियाँ पहलवान से
जवानी का तन
कंकाल सा
नोकरी की आस में
कभी चक्कर आते
कभी उठता
कभी बैठता
कितना संघर्ष
कितना श्रम
फिर भी
न कोई
रोजगार
घर लौटे
खाली हाथ
कवि राजेश पुरोहित

डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित

पिता का नाम - शिवनारायण शर्मा माता का नाम - चंद्रकला शर्मा जीवन संगिनी - अनिता शर्मा जन्म तिथि - 5 सितम्बर 1970 शिक्षा - एम ए हिंदी सम्प्रति अध्यापक रा उ मा वि सुलिया प्रकाशित कृतियां 1. आशीर्वाद 2. अभिलाषा 3. काव्यधारा सम्पादित काव्य संकलन राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सतत लेखन प्रकाशन सम्मान - 4 दर्ज़न से अधिक साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित अन्य रुचि - शाकाहार जीवदया नशामुक्ति हेतु प्रचार प्रसार पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया संपर्क:- 98 पुरोहित कुटी श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान पिन 326502 मोबाइल 7073318074 Email [email protected]