कविता : विकसित हिंदुस्तान
आओ विकसित देश बनाएँ
विज़न दो हज़ार बीस अपनाएं
सुंदर प्रकृति को हम बचाएं
गीत खुशी के मिलकर गाएँ
मरुस्थल के हम शूल हटाएँ
श्रम कर हम अन्न उपजाएँ
हरियाली चहुँ ओर फैलाएं
रंग बिरंगे सुमन खिलाएँ
सागर को भी लांघ जाएं
प्रगति पथ पर बढ़ते जाएं
अपना हुनर भी दिखाएं
विकसित हिंदुस्तान बनाएं
देश में प्रोधोगिकी बढ़ाएं
और प्रक्षेपण यान बनाएँ
तकनीकी हम ज्ञान सिखाएं
मन से अंधविश्वास मिटाएँ
निष्काम कर्म नित करते जाएँ
अर्जुन सा एक लक्ष्य बनाएँ
अवसादों से कभीे न घबराएं
आशाओं के फूल खिलाएं
देश हित मिल कदम बढ़ाएं
वन्दे मातरम गान सुनाएँ
मिसाइल मेन के स्वप्न बताएं
आओ विकसित देश बनाएँ
— कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी