कविता

मेरी अभिव्यक्ति

जो जनता को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं,
देशभक्ति और संस्क्रति के परिचायक हैं।
अब लगता है कि सत्ता के मद में डूब गए,
एक सीट को पाने में दुश्मन से खेल गये।
पापी कुटिल अनाचारी से गठबंधन कर बैठे,
श्रीराम को गाली देने वाले से हाथ मिला बैठे।
अब कैसी लाचारी है किस मद में तुम खोये हो,
राम नाम जपने से ही तुम सिंघासन पाए हो,
जिनको विस्की में विष्णू, रम में दिखते राम हों।
उनके स्वागत हेतु केवल गोलियों की शाम हो,
अब भारत मां के सोये वीर जवानों जागो,
सत्ता पर आसीन नरेश को पल में मल डालो।
जिनका सिंघासन चलता है राम नाम के नारों से,
उनको सबक सिखा डालो अपनी तेज दुधारों से।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047